नागपुर, 3 अक्टूबर 2025
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 100वीं वर्षगाँठ के समारोह के मौके पर उनका मुख्य आयोजन Reshimbagh मैदान, नागपुर में हुआ, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश की चुनौतियों और हिंदू समाज की एकजुटता पर ज़ोर देने वाले संदेश दिए। उन्होंने यह कहते हुए सुर्खियाँ बटोरी कि “सशक्त और एकजुट हिंदू समाज ही भारत की रक्षा एवं अखंडता की गारंटी” हो सकती है।
भागवत ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि RSS का ध्येय राजनीति में उतरना नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीतिक निमंत्रण मिले हैं, लेकिन संघ ने दूर रहने का विकल्प चुना। उन्होंने यह बताया कि संघ अपनी भूमिका समाज और राष्ट्र निर्माण की दिशा में निभाएगा न कि राजनीतिक दलों की तरह प्रत्यक्ष सत्ता संघर्ष में उतरने के लिए।
समारोह में भागवत ने आतंकवाद, सीमा विवाद, प्राकृतिक आपदाओं और अंतरराष्ट्रीय दबावों का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आंतरिक मजबूती और सामाजिक एकता की आवश्यकता है। उन्होंने हाल के घटनाक्रमों का संदर्भ देते हुए कहा कि बाहरी और आंतरिक तत्व मिलकर देश को अस्थिरता की ओर धकेलना चाहते हैं, लेकिन यदि हिंदू समाज मजबूत और संगठित रहेगा, तो यह उनका सामना कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज की शक्ति सिर्फ धार्मिकता या सांस्कृतिक पहचान तक सीमित नहीं होनी चाहिए। शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक संवेदनशीलता – ये तीनों उसके अंग हैं। यदि ये तीनों तन कर खड़े हों, तो समाज बाहरी दबावों को झेलने की क्षमता रख पाएगा।
RSS के शस्त्र पूजा समारोह के दौरान, संघ ने परंपरानुसार हथियारों का पूजन किया और कार्यक्रम के दौरान विभिन्न राज्यों के स्वयंसेवकों ने भाग लिया। समारोह में वर्तमान और पूर्व नेताओं के अलावा संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे।
समाज और राजनीति में इस वर्ष RSS शताब्दी समारोह की गंभीरता और संदेश दोनों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस मंच से निकले विचार और दिशा-निर्देश अगले वर्ष संघ के कार्यक्रमों और अभियान को ढाँचा देने वाले माने जा रहे हैं।