दिल्ली सरकार ने राजधानी में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाने के उद्देश्य से सोमवार को विधानसभा में एक नया विधेयक (बिल) पेश किया है। इस प्रस्तावित कानून का मकसद स्कूलों की फीस संरचना को पारदर्शी और नियंत्रित बनाना है, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सके।
‘दिल्ली स्कूल फीस नियमन विधेयक 2025’ नामक इस बिल में प्रस्ताव है कि कोई भी निजी स्कूल बिना सरकार की पूर्व अनुमति के ट्यूशन फीस, वार्षिक शुल्क या विकास शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही फीस में बढ़ोतरी का आधार स्कूल के खर्चों और संसाधनों से जोड़कर तय करने की व्यवस्था की गई है।
दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने बिल पेश करते हुए कहा, “हमारी सरकार शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाना चाहती है। निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर मुनाफा नहीं कमा सकते। यह बिल अभिभावकों के हित में एक ऐतिहासिक कदम है।”
इस बिल के अनुसार, यदि कोई स्कूल तय मानकों का उल्लंघन करता है या फीस बढ़ाने के लिए गलत दस्तावेज प्रस्तुत करता है, तो उस पर आर्थिक जुर्माना या मान्यता रद्द करने जैसे कठोर कदम भी उठाए जा सकते हैं।
अभिभावक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पहल का स्वागत किया है, वहीं कुछ निजी स्कूल प्रबंधन समितियों ने इसमें “सरकारी हस्तक्षेप” की आशंका जताई है। बिल पर विधानसभा में बहस के बाद वोटिंग होगी और फिर इसे विधिवत कानून का रूप दिया जाएगा।