लंदन 4 अक्टूबर 2025
1400 वर्षों की पुरुष प्रधान परंपरा का अंत: चर्च ऑफ इंग्लैंड के सर्वोच्च आध्यात्मिक पद पर महिला का उदय
चर्च ऑफ इंग्लैंड के इतिहास में एक युग का अंत हुआ और एक नए, अभूतपूर्व युग का सूत्रपात हुआ। लंदन की बिशप, डेम सारा मुलाली (Dame Sarah Mullally) को कैंटरबरी का अगला आर्कबिशप नामित किया गया है। यह घोषणा न केवल चर्च ऑफ इंग्लैंड, बल्कि वैश्विक एंग्लिकन कम्युनियन (Anglican Communion) के लिए भी एक असाधारण और ज़ोरदार ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
सेंट ऑगस्टीन (St Augustine) के 597 ईस्वी में रोम से कैंट पहुंचने के बाद से, सारा मुलाली 106वीं आर्कबिशप होंगी, लेकिन इस पद को धारण करने वाली वह पहली महिला होंगी। यह नियुक्ति लगभग 1400 वर्षों से चली आ रही उस अटूट पुरुष प्रधान परंपरा को तोड़ती है, जिसने चर्च के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेतृत्व को संभाला है। यह ऐतिहासिक क्षण 2014 में चर्च ऑफ इंग्लैंड द्वारा महिलाओं को बिशप बनने की अनुमति देने के बाद से हुई प्रगति को दर्शाता है, और दिखाता है कि चर्च अब लैंगिक समानता की ओर निर्णायक कदम बढ़ा रहा है।
नर्सिंग से अध्यात्म तक का अभूतपूर्व सफर: एक ‘डेम’ जो बनीं चर्च की मुखिया
सारा मुलाली का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो उनके नेतृत्व में चर्च की नई दिशा को भी इंगित करती है। पादरी बनने से पहले, उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) में एक कैंसर नर्स के रूप में काम किया और 37 साल की छोटी उम्र में इंग्लैंड की मुख्य नर्सिंग अधिकारी (Chief Nursing Officer for England) बनकर एक और ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था। नर्सिंग के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें ‘डेम कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर’ (Dame Commander of the British Empire) की उपाधि से सम्मानित किया गया था। 2001 में वह पादरी बनीं और 2018 में वह लंदन की पहली महिला बिशप बनीं, जो चर्च ऑफ इंग्लैंड में तीसरा सबसे वरिष्ठ पादरी पद है।
उनका यह विविध अनुभव, जिसमें स्वास्थ्य सेवा की अग्रिम पंक्ति का नेतृत्व और उच्च सरकारी पद शामिल हैं, उन्हें एक ऐसा दृष्टिकोण प्रदान करता है जो उन्हें आज की ‘टूटी हुई और दर्द से भरी दुनिया’ में चर्च का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार करता है। चर्च की प्रगतिशील शाखा की मानी जाने वाली सारा मुलाली, अब यौन दुर्व्यवहार घोटालों के कारण विश्वास बहाली, गिरती चर्च उपस्थिति और समलैंगिक विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्च का मार्गदर्शन करेंगी। उनका यह ज़ोरदार नेतृत्व आने वाले समय में चर्च को नई सामाजिक और आध्यात्मिक ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करता है।