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नोएडा FNG पर मौत का मोड़—पलटा ‘छोटा हाथी’, कई लोग पुल से नीचे गिरे; चीख-पुकार में बदल गई शाम

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नोएडा 9 नवंबर 2025

नोएडा के पर्थला क्षेत्र से रविवार शाम को ऐसी भयावह खबर आई जिसने पूरे दिल्ली-एनसीआर को स्तब्ध कर दिया। पर्थला–बहलोलपुर के पास स्थित प्रसिद्ध FNG फ्लाईओवर पर अचानक हुए दर्दनाक हादसे ने कुछ ही क्षणों में खुशी को चीख-पुकार में बदल दिया। यह हादसा शाम लगभग 5 बजे उस वक्त हुआ जब बिसरख हनुमान मंदिर की ओर से आ रहा एक छोटा हाथी (पिकअप वाहन) तेज रफ्तार में फ्लाईओवर के घुमावदार मोड़ पर अनियंत्रित होकर पलट गया। हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिकअप के पलटते ही कई लोग सीधे पुल पर उछलकर गिरे और 4 से 6 लोग फ्लाईओवर से नीचे जा गिरे।

हादसे में सबसे दर्दनाक बात यह थी कि छोटे हाथी में लगभग 20 ढोल वादक, कई छोटे बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग सवार थे—जो किसी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन में शामिल होने जा रहे थे। पलटते ही वाहन के अंदर बैठे लोग ऊपर उछलकर सड़क पर इधर-उधर बिखर गए, बच्चों की चीखें और महिलाओं की चित्कार पूरे इलाके में गूंज उठी। पुल से नीचे गिरने वालों की हालत गंभीर बताई जा रही है। स्थानीय लोग और राहगीर कुछ ही सेकंड में मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू करने की कोशिश की, लेकिन स्थिति इतनी बुरी थी कि कई लोगों को खून से लथपथ हालत में सड़क पर तड़पते देखा गया।

हादसे की सूचना मिलते ही सेक्टर-113 थाना पुलिस, एसएचओ और पुलिस की कई टीम मौके पर पहुँच गईं। कुछ ही देर में ऐम्बुलेंस की कई यूनिटें भी मौके पर आ गईं। पुलिस ने घायल लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भेजना शुरू किया—जहाँ कई की हालत गंभीर बनी हुई है। FNG का यह फ्लाईओवर पहले भी तेज रफ्तार और खतरनाक मोड़ों के कारण चर्चा में रहा है, और स्थानीय लोगों का कहना है कि यहाँ गति नियंत्रण का अभाव लगातार हादसों को दावत देता रहा है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, छोटा हाथी पुल की ढलान और घुमाव पर नियंत्रण खो बैठा। वाहन में ओवरलोडिंग होने की आशंका भी जताई जा रही है, क्योंकि उसमें बैठे लोगों की संख्या क्षमता से कहीं अधिक थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि वाहन पलटते ही दो बच्चों को हवा में उछलकर सड़क किनारे गिरते देखा गया, जबकि चार से अधिक लोग पुल की रेलिंग के पार जाकर नीचे गिर गए। नीचे गिरने वालों की तलाश, चिकित्सा सहायता और रिस्क्यू अभी भी जारी है।

पुलिस ने पूरे इलाके में ट्रैफिक डायवर्जन लगाया है और क्रेन की मदद से पलटे वाहन को हटाया जा रहा है। सर्च लाइटों और दमकल विभाग की सहायता से पुल के नीचे भी गहन तलाशी अभियान चल रहा है, क्योंकि आशंका है कि कुछ लोग मलबे या नीचे की झाड़ियों में फंसे हो सकते हैं।

ये हादसा केवल रफ्तार और लापरवाही की देन नहीं, बल्कि प्रशासनिक चूक और खतरे वाले इलाकों में सुरक्षा उपायों की कमी का बड़ा संकेत है। पर्थला फ्लाईओवर का यह हिस्सा बेहद संकरा और खतरनाक मोड़ वाला है, बावजूद इसके यहाँ स्पीड रडार, बैरिकेडिंग या चेतावनी संकेतों का अभाव रहा है। स्थानीय लोगों ने इसे “दुर्घटना का ब्लैक स्पॉट” बताया है।

फिलहाल पुलिस ने घायल लोगों के परिवारों को सूचित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने वाहन चालक की जिम्मेदारी और वाहन की फिटनेस को लेकर भी जांच शुरू कर दी है। सवाल यह है कि क्या धार्मिक आयोजनों में शामिल होने जा रहे इतने बड़े समूह को बिना सुरक्षा, बिना सीटिंग और बिना किसी व्यवस्था के एक छोटे वाहन में भरकर भेजा जाना ही सबसे बड़ा खतरा नहीं था?

हादसे का दृश्य इतना भयावह था कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी तक हिल गए। एक अधिकारी ने कहा—

“मैंने कई ऐक्सिडेंट देखे हैं, लेकिन इतना दर्दनाक दृश्य कम ही देखने को मिलता है… कई बच्चों को रोते-तड़पते अपने परिजनों को खोजते देखा।”

यह घटना एक चेतावनी है कि नोएडा जैसे हाईटेक शहरों में भी सड़क सुरक्षा उतनी ही बड़ी चुनौती है जितनी देश के अन्य हिस्सों में। पर्थला फ्लाईओवर पर हुआ यह हादसा प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस और सरकार—तीनों के लिए एक सख्त संदेश है कि स्पीड कंट्रोल, सुरक्षा उपाय और वाहन फिटनेस को लेकर सख्त नियम जरूरी हैं।

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