नई दिल्ली, 6 अक्टूबर। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक बार फिर केंद्र सरकार, बीजेपी और तथाकथित “गोदी मीडिया” पर खुला और तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब भी राहुल गांधी लोकतंत्र पर मंडराते ख़तरे की बात करते हैं, तब बीजेपी और उसके समर्थक मीडिया घराने मिलकर शोर मचाते हैं — लेकिन जब न्यायपालिका पर हमला होता है, जब दलित मारे जाते हैं, जब बच्चे कफ सिरप से मरते हैं — तब ये सब एक साथ मौन साध लेते हैं।
गोदी मीडिया के गिद्ध आज चुप क्यों हैं?
सुप्रिया श्रीनेत ने अपने बयान में कहा, “जब जब राहुल गांधी लोकतंत्र के ख़तरे की बात करते हैं, तो मोदी भक्तों और बीजेपी के साथ-साथ वो गोदी गिद्ध — जो दिन-रात सत्ता की सेवा में लगे हैं — चीख-चीखकर नाटक करते हैं। लेकिन आज जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की कोशिश हुई, तब ये सब एक साथ खामोश हैं। इतना सन्नाटा क्यों है? क्या लोकतंत्र पर हमला तभी दिखता है जब सरकार चाहे?”
उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए “बेहद खतरनाक संकेत” बताया और कहा कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए सर्वोच्च न्यायालय पर हमला कर रहा है क्योंकि CJI दलित समाज से आते हैं, तो यह देश के संविधान और न्याय व्यवस्था का सीधा अपमान है। उन्होंने कहा कि क्या बीजेपी का कोई सांसद / मोदी सरकार का कोई मंत्री / क़ानून मंत्री / बीजेपी अध्यक्ष / गृहमंत्री या खुद प्रधानमंत्री ने चीफ जस्टिस गवई पर हुए हमले की निंदा की है? एक शब्द नहीं। सिर्फ इसलिए क्योंकि सीजेआई दलित हैं — अगर वो दलित नहीं होते तो ये सब तुरंत बोल पड़ते। यही शर्मनाक सच्चाई है।
दलित मारे जा रहे हैं, बच्चे मर रहे हैं — और सरकारें सो रही हैं
सुप्रिया ने देश की मौजूदा स्थिति पर कड़े शब्दों में हमला बोलते हुए कहा, “कहीं दलित की पीट-पीटकर हत्या की जा रही है और हत्या करने वाले गर्व से कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है। दूसरी ओर एक सिरफिरा अदालत में ‘सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ कहकर चीफ जस्टिस पर जूता फेंक रहा है। यही है आज का भारत — जहाँ नफरत की राजनीति न्याय के मंदिर तक पहुँच गई है।”
उन्होंने आगे कहा कि देश के कई हिस्सों में सरकारी लापरवाही से बच्चों की मौतें हो रही हैं। “कफ सिरप से बच्चों की दर्दनाक मौत हो रही है, अस्पतालों में आग लगने से लोग जल रहे हैं, लेकिन सरकारें मुँह छिपाए बैठी हैं। राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में 8 से ज़्यादा मरीजों की मौत हो गई, लेकिन न किसी मंत्री ने दौरा किया, न किसी अधिकारी को सस्पेंड किया गया। आखिर इस देश में ज़िम्मेदारी किसकी है?”
सत्ता के चरणवंदन में डूबे हैं गोदी मीडिया के गिद्ध
सुप्रिया ने कहा कि देश का तथाकथित “मुख्यधारा मीडिया” पत्रकारिता नहीं, भक्ति कर रहा है। उन्होंने पूछा कि “कहाँ हैं वो प्राइम टाइम के चीखने वाले एंकर? कहाँ हैं वो चैनल जो हर दिन विपक्ष को गालियाँ देते हैं? क्या लोकतंत्र पर हमला उन्हें नहीं दिखता? या वे सत्ता के चरणों में इतने झुके हैं कि सच बोलना भूल गए हैं?”
उन्होंने कहा कि “आज गोदी मीडिया के गिद्ध निंदा का एक शब्द नहीं बोल रहे, न सवाल उठा रहे हैं। इनकी चुप्पी सत्ता की मिलीभगत का सबसे बड़ा सबूत है।”
जनता से सवाल — आप कब तक चुप रहेंगे?
कांग्रेस प्रवक्ता ने देशवासियों से सीधे सवाल करते हुए कहा,
“सरकारें आती हैं जाती हैं, लेकिन देश आपका है, हमारा है। कब तक आप मूकदर्शक बने रहेंगे? कब तक अपनी आँखों के सामने इस लोकतंत्र को टूटते देखेंगे? क्या सिर्फ इसलिए कि डर है? या इसलिए कि आपने उम्मीद छोड़ दी है?”
उन्होंने कहा कि यह वक्त देश की जनता के जागने का है, क्योंकि “अगर आज आवाज़ नहीं उठी, तो आने वाले वक्त में बोलने का अधिकार भी छीना जाएगा।”
लोकतंत्र सिर्फ वोट नहीं, जवाबदेही भी है
सुप्रिया श्रीनेत ने अपने बयान का समापन करते हुए कहा, “लोकतंत्र सिर्फ वोट देने का नाम नहीं है, यह सवाल पूछने का हक़ भी है। और जब सत्ता जवाब न दे, मीडिया चुप हो जाए, न्यायपालिका पर हमला हो, दलित मारे जाएं, तब चुप रहना सबसे बड़ा अपराध है। आज अगर हम नहीं बोले, तो इतिहास हमें माफ़ नहीं करेगा।”
सुप्रिया का यह बयान केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — उस भारत के लिए जो मौन हो चुका है। जहाँ सत्ता का डर इतना गहरा है कि अन्याय सामान्य हो गया है, और चुप्पी देश का नया धर्म।