Home » National » बीजेपी की साज़िश के शिकार नीतीश?” — तेजस्वी का वार: सत्ता के लिए खेला गया खतरनाक खेल, मुख्यमंत्री मानसिक रूप से अनफिट

बीजेपी की साज़िश के शिकार नीतीश?” — तेजस्वी का वार: सत्ता के लिए खेला गया खतरनाक खेल, मुख्यमंत्री मानसिक रूप से अनफिट

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

पटना 6 अक्टूबर 2025

बिहार की राजनीति में रविवार को बम फटा जब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत और मानसिक स्थिति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि “बिहार अब एक बीमार मुख्यमंत्री के भरोसे चल रहा है।” तेजस्वी ने दावा किया कि नीतीश कुमार की गिरती हालत कोई सामान्य बीमारी नहीं, बल्कि बीजेपी की अंदरूनी साज़िश का नतीजा है। उन्होंने कहा कि “यह सब सुनियोजित तरीके से किया गया है ताकि नीतीश कुमार को कमजोर बनाकर भाजपा बिहार की राजनीति पर पूरी तरह कब्जा कर सके।”

तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अब मानसिक और शारीरिक रूप से अस्थिर हो चुके हैं। वीडियो में नीतीश कुमार को एक सरकारी कार्यक्रम में मंच पर बैठे हुए अजीब हरकतें करते हुए देखा जा सकता है। इसी वीडियो को आधार बनाते हुए तेजस्वी ने जनता से सवाल किया, “एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस दयनीय स्थिति में देख आपको कैसा लग रहा है? क्या अजीब हरकते करते मा॰ मुख्यमंत्री जी आपको मानसिक रूप से स्वस्थ दिखाई दे रहे हैं? क्या साजिशन इनकी ऐसी हालत बीजेपी के इशारे पर इनकी ख़ास ‘भूंजा पार्टी’ ने प्रसाद या अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने के बहाने की है?”

तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ़ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक गंभीर विस्फोट है। उन्होंने सीधे इशारा किया कि नीतीश कुमार की यह स्थिति अचानक नहीं बनी, बल्कि यह एक राजनीतिक इंजीनियरिंग का परिणाम है। तेजस्वी ने कहा कि भाजपा ने अपने हितों की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री को धीरे-धीरे मानसिक रूप से कमजोर किया ताकि वे खुद निर्णय न ले सकें और बिहार की नीतियाँ दिल्ली से तय हों। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने नीतीश जी को पहले इस्तेमाल किया, फिर कमजोर किया और अब उन्हें एक कठपुतली की तरह चलाया जा रहा है। बिहार का संचालन अब किसी मुख्यमंत्री के हाथ में नहीं, बल्कि दिल्ली के इशारों पर हो रहा है।”

तेजस्वी ने कहा कि यह सिर्फ़ नीतीश कुमार का व्यक्तिगत संकट नहीं है, बल्कि बिहार की जनता के विश्वास पर चोट है। उन्होंने कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनका मुख्यमंत्री मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं, और क्या वह खुद फैसले ले रहे हैं या कोई और उनके नाम से सत्ता चला रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस पर चुप रही, तो आरजेडी जनता के बीच जाकर आंदोलन छेड़ेगी।

वीडियो के वायरल होने के बाद बिहार में तरह-तरह की चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार की यह हालत किसी बीमारी का नतीजा है या किसी राजनीतिक षड्यंत्र का। जनता के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि भाजपा और जेडीयू के बीच गुप्त समझौते के तहत मुख्यमंत्री को सत्ता में बनाए रखते हुए उनकी राजनीतिक छवि को अंदर से कमजोर किया जा रहा है, ताकि चुनाव से पहले उन्हें अप्रभावी घोषित कर पार्टी को नुकसान से बचाया जा सके।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी यादव का यह आरोप रणनीतिक रूप से बेहद सोच-समझकर लगाया गया है। इससे उन्होंने न सिर्फ़ बीजेपी और जेडीयू दोनों पर दबाव बनाया है, बल्कि जनता के मन में संदेह का बीज भी बो दिया है कि क्या बिहार का शासन वाकई किसी सक्षम नेतृत्व के हाथों में है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अगर यह नैरेटिव जनता के बीच पकड़ बनाता है, तो यह भाजपा-जेडीयू गठबंधन के लिए 2025 के चुनाव में बड़ा झटका साबित हो सकता है।

तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने पहले ही कई मौकों पर चेतावनी दी थी कि नीतीश कुमार की हालत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, “अब जो लोग नीतीश जी के पास बैठे हैं, वही असल में इस हालत के जिम्मेदार हैं। ये वही लोग हैं जो बीजेपी की गोद में बैठकर सत्ता का स्वाद ले रहे हैं। इन लोगों ने जानबूझकर मुख्यमंत्री को ऐसी स्थिति में पहुँचा दिया कि वे न बोल सकें, न निर्णय ले सकें, बस हस्ताक्षर करते रहें।”

आरजेडी नेताओं का कहना है कि यह मामला अब सिर्फ़ सियासत तक सीमित नहीं है, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी का प्रश्न बन गया है। पार्टी का तर्क है कि अगर मुख्यमंत्री मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए ताकि राज्य की गरिमा और प्रशासनिक स्थिरता बनी रहे। आरजेडी ने यह भी मांग की है कि नीतीश कुमार की मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और सरकार जनता को यह बताए कि मुख्यमंत्री की वास्तविक स्थिति क्या है।

दूसरी ओर, जनता दल (यू) और भाजपा ने तेजस्वी के आरोपों को “नीच राजनीति” कहा है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी यादव जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाना चाहते हैं क्योंकि आरजेडी के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं और विपक्ष निराधार बातें कर रहा है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भाजपा या जेडीयू दोनों में से किसी ने भी अब तक नीतीश कुमार के वीडियो पर सीधी टिप्पणी करने से परहेज़ किया है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मौन बहुत कुछ कहता है। अगर मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं, तो सरकार को पारदर्शी होकर यह बताना चाहिए। लेकिन अगर इस आरोप में ज़रा भी सच्चाई है, तो यह बिहार की राजनीति के लिए अब तक का सबसे बड़ा घोटाला साबित हो सकता है — जहाँ सत्ता बचाने के लिए एक मुख्यमंत्री की सेहत के साथ खिलवाड़ किया गया।

अब बिहार की जनता का सवाल बेहद सीधा है — क्या उनका मुख्यमंत्री वाकई बीमार है? क्या यह बीमारी प्राकृतिक है या राजनीतिक? और अगर यह साज़िश है, तो इसके पीछे कौन है?

तेजस्वी यादव ने अपने बयान का अंत बेहद तीखे शब्दों में किया, “बिहार अब बीमार राजनीति नहीं झेलेगा। जनता यह जानना चाहती है कि उनके मुख्यमंत्री की हालत किसने बिगाड़ी। अगर बीजेपी ने साज़िश रची है, तो उसे जवाब देना होगा — क्योंकि बिहार को अब किसी कठपुतली नहीं, बल्कि जागरूक और स्वस्थ नेतृत्व की जरूरत है।”

तेजस्वी के इस बयान ने बिहार के राजनीतिक तापमान को चरम पर पहुँचा दिया है। जनता के बीच अब सिर्फ़ एक ही सवाल गूंज रहा है —
क्या नीतीश कुमार बीमार हैं, या यह बीमारी बिहार की राजनीति में फैली साज़िश का लक्षण है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *