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पर्वत पर जमी मौत की चादर: माउंट एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से में बर्फीले तूफान में फंसे 1,000 लोग

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ल्हासा/बीजिंग, 6 अक्टूबर 2025 

 माउंट एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से में पिछले 48 घंटों से जारी बर्फीले तूफान ने तबाही मचा दी है। भीषण बर्फबारी और हिमस्खलन के चलते करीब 1,000 से अधिक पर्वतारोही, पर्यटक और स्थानीय गाइड बर्फ में फंसे हुए हैं। चीनी प्रशासन के अनुसार, यह दशक का सबसे भयावह हिमस्खलन और बर्फीला तूफान है जिसने “एवरेस्ट स्केनिक एरिया” के पूरे क्षेत्र को ठप कर दिया है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आने वाले दो दिनों तक हालात और बिगड़ सकते हैं क्योंकि बर्फीली हवाएं 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही हैं।

शुक्रवार देर शाम शुरू हुई बर्फबारी ने शनिवार तक पूरे क्षेत्र को बर्फ की मोटी परत में ढक दिया। एवरेस्ट के उत्तरी मार्ग पर स्थित बेस कैंप नंबर दो से लेकर उच्च शिविरों तक संपर्क पूरी तरह टूट गया है। बिजली व्यवस्था ठप है, कई जगहों पर संचार नेटवर्क भी काम नहीं कर रहा। बचाव कर्मियों को हेलीकॉप्टर के जरिए भेजने की कोशिश की जा रही है, लेकिन घने बादलों और लगातार बर्फबारी के कारण हवाई राहत अभियान बाधित है। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, अब तक करीब 300 पर्यटकों को नीचे लाया जा चुका है, लेकिन सैकड़ों लोग अभी भी ऊँचाई पर फंसे हैं, जिनमें विदेशी पर्वतारोही भी शामिल हैं।

चीनी प्रशासन ने इस क्षेत्र को आपदा क्षेत्र घोषित करते हुए सेना, स्थानीय पुलिस और आपात राहत कर्मियों को बुलाया है। हजारों जवान बर्फ हटाने, फंसे लोगों को निकालने और रास्ते खोलने में जुटे हुए हैं। लेकिन लगातार गिरती बर्फ और ठंड का प्रकोप राहत कार्यों को मुश्किल बना रहा है। कुछ इलाकों में तापमान माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे बचाव दलों को भी ठहराव लेना पड़ रहा है। अधिकारियों ने बताया कि कई पर्यटक अस्थायी कैंपों में ठिठुरते हुए फंसे हैं, जिनके पास सीमित राशन और ऑक्सीजन सिलिंडर हैं।

इस बीच, नेपाल की सीमा से लगे इलाकों में भी हालात गंभीर बने हुए हैं। नेपाल के इलाम और संखुवासभा जिलों में भारी बारिश और भूस्खलन ने तबाही मचा दी है, जिससे 47 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग लापता हैं। नेपाल में भी बचाव टीमें लगातार तलाशी अभियान चला रही हैं, लेकिन खराब मौसम वहां भी बड़ी चुनौती बन गया है। दोनों देशों की सीमाओं पर बसे गांवों में कई घर बर्फ और कीचड़ में दब गए हैं, जबकि कुछ इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप हो चुकी है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, “एवरेस्ट स्केनिक एरिया” में टिकट बिक्री और पर्यटकों के प्रवेश पर तत्काल रोक लगा दी गई है। पर्यावरण मंत्रालय ने इस आपदा को “हाई रिस्क नेचुरल ब्लिजार्ड जोन” घोषित किया है और लोगों से अपील की है कि वे अगले आदेश तक इस क्षेत्र में न जाएं। तिब्बत की राजधानी ल्हासा में भी आपात स्थिति घोषित की गई है ताकि राहत सामग्री और चिकित्सकीय सहायता जल्द से जल्द प्रभावित इलाके तक पहुंचाई जा सके।

चीन की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा है कि बर्फीले तूफान के पीछे जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव देखा जा रहा है। ग्लेशियरों के पिघलने, असामान्य तापमान और अचानक वायुमंडलीय बदलावों के कारण हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एवरेस्ट क्षेत्र में यह आपदा आने वाले समय में पर्वतारोहण और पर्यटन गतिविधियों पर गहरा असर डाल सकती है।

फिलहाल प्रशासन का ध्यान फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने पर केंद्रित है। बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन हालात अभी भी बेहद कठिन हैं। हर गुजरते घंटे के साथ तापमान गिरता जा रहा है और उम्मीद की किरणें बर्फ के नीचे दबी सी लग रही हैं। माउंट एवरेस्ट का यह तिब्बती हिस्सा अब किसी ठंडी खूबसूरती की जगह एक भयावह बर्फीले कैदखाने में बदल गया है — जहाँ इंसान और प्रकृति के बीच संघर्ष जारी है।

 

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