यरूशलम 5 अक्टूबर 2025
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को एक अहम बयान देते हुए कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि आने वाले कुछ दिनों में बंधकों की रिहाई को लेकर एक बड़ा ऐलान किया जाएगा। यह बयान उस समय आया है जब ग़ाज़ा में इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता पैदा कर दी है। नेतन्याहू का यह बयान संकेत देता है कि बंधकों की रिहाई को लेकर परदे के पीछे कोई बड़ी कूटनीतिक गतिविधि चल रही है, जिसमें मध्यस्थ देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भूमिका अहम हो सकती है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि “इज़राइल अपने सभी नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए दिन-रात प्रयासरत है।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर चुकी है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में देश को कुछ सकारात्मक समाचार मिलेगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि किन मध्यस्थों के माध्यम से यह बातचीत चल रही है या कितने बंधकों की रिहाई संभावित है, लेकिन उनका बयान इस बात का स्पष्ट संकेत है कि इज़राइल और हमास के बीच बातचीत के द्वार पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं।
पिछले साल अक्टूबर में हमास ने दक्षिणी इज़राइल में हमला कर 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया था, जिनमें महिलाएँ, बच्चे और विदेशी नागरिक शामिल थे। इस घटना ने पूरे इज़राइल को झकझोर कर रख दिया था और नेतन्याहू सरकार को भारी घरेलू दबाव का सामना करना पड़ा था। तब से लेकर अब तक बंधकों की रिहाई को लेकर कई बार मध्यस्थता की कोशिशें हुईं — क़तर, मिस्र और अमेरिका ने इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई — लेकिन स्थिति पूरी तरह स्थिर नहीं हो सकी।
नेतन्याहू ने अपने बयान में यह भी कहा कि “हम किसी भी कीमत पर अपने लोगों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और इसके लिए जो भी क़दम उठाने होंगे, हम उठाएंगे।” उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की कि वे इज़राइल के प्रयासों का समर्थन करें और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। उनके इस बयान को इज़राइल की जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है — एक ओर परिवारों को राहत की उम्मीद जगी है, वहीं दूसरी ओर युद्ध जारी रखने के फैसले पर आलोचना भी बढ़ रही है।
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि हमास और इज़राइल के बीच बातचीत क़तर और मिस्र की मध्यस्थता में आगे बढ़ रही है, जिसमें अमेरिका भी अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है। संभावना जताई जा रही है कि पहली चरण में कुछ महिलाओं और वृद्ध बंधकों की रिहाई हो सकती है, बदले में इज़राइल कुछ मानवीय रियायतें या कैदियों की रिहाई पर सहमत हो सकता है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने भी दोनों पक्षों से “संयम और संवाद” की अपील की है। उनका कहना है कि बंधकों की रिहाई न सिर्फ मानवीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कदम क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में एक प्रतीकात्मक शुरुआत हो सकता है।
इज़राइल के भीतर बंधक परिवारों ने प्रधानमंत्री के इस बयान को “आशा की किरण” बताया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि “अब वादों की नहीं, ठोस कार्रवाई की ज़रूरत है।” तेल अवीव और यरूशलम में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार से अपील की कि वह जल्द से जल्द अपने नागरिकों को सुरक्षित घर लाए।
नेतन्याहू का यह बयान न सिर्फ मानवीय चिंता का संकेत है बल्कि घरेलू राजनीतिक दबाव को संतुलित करने की भी एक कोशिश है। उनकी लोकप्रियता हाल के महीनों में लगातार गिर रही है, और अगर बंधकों की रिहाई होती है, तो यह उनकी छवि के लिए एक बड़ा राजनीतिक राहत का अवसर बन सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सभी निगाहें अब यरूशलम और दोहा पर टिकी हैं। आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि क्या यह संघर्ष किसी शांतिपूर्ण मोड़ की ओर बढ़ेगा या फिर एक और अस्थायी प्रयास में बदल जाएगा। फिलहाल इतना तय है कि नेतन्याहू का बयान इज़राइल की राजनीति, कूटनीति और आम नागरिकों के बीच एक नई उम्मीद का संचार कर गया है।