नई दिल्ली 1 अक्टूबर 2025
कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है। पार्टी का कहना है कि जिस संगठन ने देश की आज़ादी की लड़ाई से किनारा किया, वही संगठन आज राष्ट्रवाद और देशभक्ति का ठेकेदार बनने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस नेताओं ने साफ कहा कि आरएसएस की पूरी नींव गद्दारी और नफरत पर टिकी हुई है। आज़ादी के आंदोलन के दौरान जब कांग्रेस, सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट और अन्य क्रांतिकारी संगठन जेलों में बंद थे, तब अंग्रेजी हुकूमत ने आरएसएस पर कभी कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। सवाल यह है कि अगर संघ सचमुच आज़ादी का हिमायती था तो उसके किसी भी नेता या कार्यकर्ता ने जेल की हवा क्यों नहीं खाई?
कांग्रेस ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा कि उस दौर में पूरा देश सड़क पर उतर चुका था। गांधी, नेहरू, पटेल, लोहिया और हजारों स्वतंत्रता सेनानी जेलों में बंद कर दिए गए थे। मगर आरएसएस चुप बैठा रहा, बल्कि अंग्रेजों को अप्रत्यक्ष मदद करता रहा। यही कारण था कि उस समय एक नारा आम जुबान पर चढ़ गया था – “जो देशभक्त थे, वो जंग में गए, जो गद्दार थे, वो संघ में गए।” कांग्रेस का कहना है कि इस नारे के पीछे उस दौर की जनता की पीड़ा और हकीकत झलकती है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आरएसएस ने हमेशा क्रांतिकारियों और आज़ादी के मतवालों को ‘अराजक’ बताने का काम किया। महात्मा गांधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे महान व्यक्तित्वों को भी इस संगठन ने सम्मान नहीं दिया। अंग्रेजी शासन के समय संघ के नेताओं की भूमिका कभी आज़ादी के पक्ष में नहीं दिखी, बल्कि उनकी चुप्पी और कार्यशैली अंग्रेजों के लिए मददगार साबित हुई। यही कारण है कि जिन संगठनों ने देश को आज़ाद कराने में योगदान दिया, उन पर बार-बार प्रतिबंध लगाए गए, जबकि संघ को कभी छुआ तक नहीं गया।
कांग्रेस का आरोप है कि आरएसएस का इतिहास केवल हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने का रहा है। आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद भी इस संगठन का काम समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटना ही रहा है। कांग्रेस ने कहा कि आज़ादी के समय संघ की इसी विभाजनकारी मानसिकता ने देश में खून-खराबा फैलाया और लाखों लोग दंगों की आग में झुलस गए। गांधी और नेहरू के लाख प्रयासों के बावजूद देश का बंटवारा हुआ और यह घाव आज तक हरा है।
इतना ही नहीं, कांग्रेस ने याद दिलाया कि संविधान बनाने के समय भी आरएसएस ने मनुस्मृति लागू करने की जिद ठानी थी। संघ का कोई भी प्रतिनिधि संविधान सभा में नहीं था, क्योंकि जनता ने इन्हें पूरी तरह नकार दिया था। मगर संघ ने कभी हार नहीं मानी और अंततः इसके ही अनुयायी नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। कांग्रेस ने कहा कि गांधी जी की हत्या संघ की मानसिकता का असली चेहरा है।
आज़ादी के 78 साल बाद भी कांग्रेस का आरोप है कि आरएसएस ने अपना असली एजेंडा नहीं छोड़ा। देश में सत्ता हासिल करने के लिए यह संगठन हमेशा हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव फैलाता रहा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आज यही संगठन देश की संस्थाओं पर कब्जा जमाकर लोकतंत्र को खोखला कर रहा है। सत्ता का दुरुपयोग कर आरएसएस ने देश की संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया है और जनहित की नीतियों को कमजोर कर दिया है।
कांग्रेस का कहना है कि आज RSS खुले तौर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कुर्सियों पर बैठे नेताओं को नियंत्रित कर रहा है। जिन लोगों ने कभी संविधान की जगह मनुस्मृति का समर्थन किया था, वही लोग आज लोकतंत्र और समानता का पाठ पढ़ा रहे हैं। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि जिनकी सोच हमेशा से कट्टर और विभाजनकारी रही है, उनसे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय की उम्मीद आखिर कैसे की जा सकती है?
कांग्रेस ने यह भी कहा कि अगर देश की मौजूदा समस्याओं – बेरोजगारी, महंगाई, असमानता और सांप्रदायिकता – की जड़ तलाश की जाए, तो सबसे बड़ा कारण आरएसएस ही सामने आता है। पार्टी ने दावा किया कि जिस दिन यह संगठन समाज में नफरत की आग लगाना बंद कर देगा, उसी दिन देश की आधी से ज्यादा समस्याएं अपने आप खत्म हो जाएंगी।
अंत में कांग्रेस ने जनता से अपील की कि आरएसएस के राष्ट्रवाद के नकली चेहरे से सावधान रहें। पार्टी ने कहा – “यह देश का दुर्भाग्य है कि आज वही संगठन सत्ता चला रहा है, जिसने कभी आज़ादी की लड़ाई में भाग नहीं लिया। जनता को समझना होगा कि आरएसएस समस्या का समाधान नहीं, बल्कि सबसे बड़ी समस्या है।”