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गोली से खामोश की गई लद्दाख की आवाज़: राहुल गांधी

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नई दिल्ली 30 सितंबर 2025

 देशभक्ति का सिला: मौत?

दिल्ली से लेकर लद्दाख तक गूंज रही एक ही आवाज़—क्या देशसेवा का यही सिला है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने त्सावांग थारचिन की हत्या को लेकर बीजेपी सरकार पर करारा वार करते हुए कहा कि “पिता फौजी, बेटा भी फौजी – जिनके खून में देशभक्ति बसी है, उसी बेटे को मोदी सरकार ने गोली से मरवा दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह अपने अधिकार और लद्दाख की आवाज़ उठा रहा था।”

लद्दाख में गूंजा दर्द, दिल्ली में उठे सवाल

राहुल गांधी ने मंच से साफ कहा कि मोदी सरकार ने लद्दाख के लोगों से किया हर वादा तोड़ा है। “पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकार मांगना कोई अपराध नहीं है। लेकिन मोदी जी ने लोकतंत्र का गला घोंटकर हिंसा और डर की राजनीति थोप दी है।” उन्होंने कहा कि लद्दाख की आवाज़ को दबाने के लिए गोलियां चलाना लोकतंत्र का सबसे बड़ा अपमान है।

सैनिक के बेटे की मौत: राष्ट्रवाद की असली तस्वीर

राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि “जिस सैनिक ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ी, मोदी सरकार ने उसके बेटे की ही जान ले ली। क्या यही है बीजेपी का राष्ट्रवाद?” उन्होंने कहा कि यह घटना पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर देगी कि सत्ता की रक्षा के लिए सरकार अब जनता की आवाज़ तक कुचलने से नहीं हिचक रही।

पिता की चीख: “क्या यह इंसाफ है?”

त्सावांग थारचिन के पिता, जो खुद सेना में रह चुके हैं, ने रोते हुए कहा: “मेरे बेटे की पूरी बॉडी नीली पड़ी थी, उसे घसीटा गया और लिटाकर गोली मारी गई। ऐसा तो दुश्मन के साथ भी नहीं किया जाता। SSP या कलेक्टर का बेटा होता, तो क्या गोली चलती?” यह सवाल सिर्फ लद्दाख का नहीं, पूरे भारत का है।

कांग्रेस की मांग: न्यायिक जांच और सख्त सज़ा

राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि त्सावांग थारचिन की हत्या की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। “यह हत्या सिर्फ एक इंसान की नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या है। जब जनता अपने अधिकारों की आवाज़ उठाती है, तो सरकार का काम संवाद करना होता है, न कि गोलियां चलवाना।”

मोदी सरकार की खामोशी: सबसे बड़ा अपराध

कांग्रेस का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार की खामोशी ही उसकी सबसे बड़ी स्वीकारोक्ति है। राहुल गांधी ने कहा: “मोदी जी, लद्दाख के लोग धोखे का दर्द झेल रहे हैं। आपकी चुप्पी साबित करती है कि सरकार की नजर में जनता की जान की कोई कीमत नहीं है। देश जानना चाहता है—नरेंद्र मोदी, इन सवालों का जवाब है आपके पास?”

नतीजा: लद्दाख की गूंज, पूरे देश की मांग

त्सावांग थारचिन की मौत सिर्फ लद्दाख का मामला नहीं, बल्कि पूरे भारत के लोकतंत्र पर एक गहरी चोट है। सवाल साफ है: क्या सरकार जनता की आवाज़ से इतनी डरी हुई है कि गोलियों से उसका जवाब देती है? और अगर यह सिलसिला नहीं रुका, तो क्या आने वाला भारत डर और दमन का भारत होगा?

 

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