तमिलनाडु के करूर जिले में शनिवार शाम को तमिलगा वेत्री कषगम (TVK) के प्रमुख और अभिनेता से नेता बने विजय की एक राजनीतिक रैली में भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ ने एक बड़े हादसे का रूप ले लिया। इस त्रासदी में अब तक 39 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें 16 महिलाएं और 8 बच्चे शामिल हैं। यह घटना विजय के राजनीतिक सफर के शुरुआती दौर में एक बड़ा झटका है और बड़े आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस हादसे में 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिन्हें नजदीकी सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई घायलों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
बेकाबू भीड़ और दम घुटने से मची अराजकता
TVK प्रमुख विजय के रोड शो और जनसभा के लिए आयोजित इस रैली में अभूतपूर्व संख्या में समर्थक और प्रशंसक जमा हुए थे। विजय की लोकप्रियता के कारण भीड़ नियंत्रण करना मुश्किल हो गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भगदड़ की शुरुआत तब हुई जब मंच के पास पहुंचने की होड़ में भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया। अत्यधिक भीड़ और गर्मी के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी, और कई समर्थक, जिनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे, दबाव में आकर बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। इसके बाद, कुचले जाने और दम घुटने से भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए। चश्मदीदों के अनुसार, रैली स्थल पर अराजकता का माहौल बन गया था और बचाव कार्य शुरू करने में काफी देर हुई।
विजय ने रोका भाषण, राहत कार्यों में आई बाधा
हालात को बिगड़ता देख TVK प्रमुख विजय ने तुरंत अपना भाषण बीच में ही रोक दिया। उन्होंने मंच से ही लोगों से शांति बनाए रखने और एम्बुलेंस के लिए रास्ता देने की अपील की। उन्होंने अपनी वैन के ऊपर से खुद भी भीड़ की ओर पानी की बोतलें फेंकीं, ताकि बेहोश हो रहे लोगों को मदद मिल सके, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि यह प्रयास नाकाफी साबित हुआ। सबसे बड़ी चुनौती राहत और बचाव कार्यों में आई। भीड़-भाड़ वाली सड़कों और जाम के कारण एम्बुलेंस को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा, जिससे घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में महत्वपूर्ण देरी हुई, जो संभवतः मौतों की संख्या बढ़ने का एक कारण बनी।
सरकार और नेताओं ने जताया शोक, मुआवजे का ऐलान
इस दुखद घटना की खबर मिलते ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तुरंत संज्ञान लिया और घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार मिले। इसके अतिरिक्त, हादसे की गहन जांच के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुणा जगदीसन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी इस त्रासदी पर शोक व्यक्त किया है। विजय ने भी X पर पोस्ट कर अपना दर्द बयां किया और लिखा कि उनका दिल टूट गया है।
सुरक्षा मानकों और आयोजकों पर उठे गंभीर सवाल
करूर में हुई इस भगदड़ ने राजनीतिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा मानकों की भारी कमी को उजागर किया है। सवाल उठ रहे हैं कि आयोजकों ने इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं की, और आपातकालीन निकासी के रास्ते क्यों बाधित थे। जांच आयोग अब रैली के आयोजन की अनुमति, सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण के उपायों की समीक्षा करेगा। यह त्रासदी देश में बड़े सार्वजनिक आयोजनों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल की तत्काल समीक्षा की आवश्यकता पर जोर देती है, ताकि भविष्य में इस तरह के भयावह हादसों को रोका जा सके।