कीव / ब्रसेल्स, 27 सितम्बर 2025
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने एक चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा है कि हंगरी की ओर से रेकॉनेसांस (टोही) ड्रोन यूक्रेनी हवाई क्षेत्र में घुस आए। यह बयान ऐसे समय आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध पहले से ही यूरोप में गंभीर सुरक्षा संकट पैदा कर चुका है और नाटो देशों के बीच एकजुटता बनाए रखने की कोशिशें तेज़ हैं।
ज़ेलेंस्की ने यूरोपीय नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे राडार ने साफ दिखाया कि ये ड्रोन हंगरी की दिशा से आए और हमारी सीमा में कई किलोमीटर अंदर तक गए। यह हमारे लिए केवल तकनीकी मुद्दा नहीं है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता का सवाल है।” उन्होंने यूरोपीय संघ और नाटो से इस घटना की जांच कराने और इस पर स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की।
यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इन ड्रोन को इंटरसेप्ट किया गया और फिलहाल उनके मलबे का विश्लेषण किया जा रहा है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के मुताबिक यह ड्रोन अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों से लैस थे। यूक्रेनी अधिकारियों का आरोप है कि यह एक “उकसावे की कार्रवाई” हो सकती है, जो पहले से ही संवेदनशील स्थिति को और जटिल बना सकती है।
हंगरी की सरकार ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उनके किसी भी सैन्य या सरकारी ड्रोन ने यूक्रेन की सीमा का उल्लंघन नहीं किया। हंगरी के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, “हमें यूक्रेन के आरोपों की जानकारी है, लेकिन हम किसी भी तरह की सीमा उल्लंघन की पुष्टि नहीं करते। हम इस मामले की जांच करने और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं।”
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना हंगरी-यूक्रेन संबंधों में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा सकती है। हंगरी ने हाल के महीनों में रूस के साथ अपने ऊर्जा समझौतों और नाटो के भीतर यूक्रेन से जुड़े फैसलों पर असहमति जताकर खुद को पश्चिमी ब्लॉक से अलग-थलग कर लिया है। ऐसे में यह आरोप यूरोप में नए कूटनीतिक विवाद को जन्म दे सकता है।
यूरोपीय संघ और नाटो के अधिकारियों ने अपील की है कि दोनों देश इस मामले को बातचीत से सुलझाएं और किसी भी तरह की सैन्य वृद्धि से बचें। नाटो के प्रवक्ता ने कहा कि वे घटना की जानकारी जुटा रहे हैं और यदि जरूरत हुई तो स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाएगी।
यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब यूक्रेन पहले से ही रूस के ड्रोन और मिसाइल हमलों से जूझ रहा है। ज़ेलेंस्की के अनुसार, किसी भी अतिरिक्त खतरे से निपटने के लिए पश्चिमी देशों का समर्थन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।