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अमित शाह के दौरे के पहले 4 बार के बीजेपी विधायक ने कहा चरम पर है भ्रष्टाचार, पार्टी छोड़ी

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बिहार, 26 सितंबर 2025 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे से ठीक पहले बीजेपी को एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से चार बार के विधायक रह चुके वरिष्ठ नेता जनार्दन यादव ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने खुलकर आरोप लगाया कि बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है, जनता को छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी दफ्तरों में चढ़ावा और रिश्वत देनी पड़ रही है और बीजेपी ने पुराने, समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया है। यादव का कहना है कि पार्टी में ऐसे हालात बन गए हैं कि जनता की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं बचा, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ने का कठिन निर्णय लिया।

जनार्दन यादव ने कहा कि आज बीजेपी अपने मूल सिद्धांतों और आदर्शों से भटक चुकी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संगठन में बाहरी लोगों को तरजीह दी जा रही है और पार्टी के पुराने नेताओं, कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है। उनका इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि उस असंतोष का प्रतीक है जो लंबे समय से बिहार की बीजेपी इकाई में पनप रहा है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब अमित शाह बिहार के दो दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं। शाह का यह दौरा बीजेपी कार्यकर्ताओं को संगठित करने और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए माहौल तैयार करने पर केंद्रित है। लेकिन ऐसे समय पर एक दिग्गज नेता का पार्टी छोड़ना पार्टी की रणनीति और उसके आंतरिक संगठनात्मक अनुशासन पर सवाल खड़े करता है। शाह की सभाएँ और कार्यकर्ता सम्मेलन अब और चुनौतीपूर्ण माहौल में होंगे, क्योंकि विपक्ष इस इस्तीफे को बड़ा मुद्दा बना सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बीजेपी नेतृत्व के लिए चेतावनी है कि यदि आंतरिक मतभेदों को समय रहते नहीं सुलझाया गया तो आने वाले दिनों में और भी बड़े चेहरे पार्टी छोड़ सकते हैं। यह बीजेपी के लिए आत्ममंथन का समय है। उसे यह साबित करना होगा कि वह केवल चुनावी जीत की मशीन नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों और आकांक्षाओं का भी प्रतिनिधित्व करती है।

बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि विपक्ष इस घटना का चुनावी लाभ न उठा ले। विपक्ष पहले ही सरकार पर जनता से कटे होने और संगठन को हाईकमान के भरोसे चलाने के आरोप लगाता रहा है। इस इस्तीफे को लेकर विपक्ष को नया मुद्दा मिल गया है। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व को जल्द से जल्द संगठन में विश्वास बहाल करना होगा और जनता को यह संदेश देना होगा कि उनकी समस्याओं का समाधान पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

 

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