चंडीगढ़/नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025
अमेरिका में तीन दशक से अधिक समय से रह रही पंजाबी मूल की 73 वर्षीय हरजीत कौर को आखिरकार डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया। बताया जाता है कि कौर 1992 में अमेरिका गई थीं और तभी से वहीं रह रही थीं। लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अमेरिकी प्रवासन एजेंसी (ICE) ने उन्हें भारत लौटने के लिए मजबूर कर दिया। इस कार्रवाई ने न सिर्फ उनके परिवार को झकझोर दिया है बल्कि अमेरिका में बसे सिख समुदाय में भी जबरदस्त आक्रोश फैल गया है।
अचानक हिरासत और डिपोर्टेशन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरजीत कौर को 8 सितंबर को कैलिफोर्निया स्थित ICE दफ़्तर में नियमित चेक-इन के दौरान हिरासत में लिया गया। इसके बाद उन्हें अलग-अलग डिटेंशन सेंटर्स में रखा गया और बिना परिवार को सूचित किए अचानक भारत भेज दिया गया। उनके वकील का आरोप है कि हरजीत कौर को बेहद कठिन परिस्थितियों में रखा गया, उन्हें बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं दी गईं और अपने परिवार को अलविदा कहने तक का मौका नहीं मिला।
समुदाय और परिवार में आक्रोश
हरजीत कौर की गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन के बाद कैलिफोर्निया में सिख और पंजाबी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि “30 साल से टैक्स भरने और सेवा करने वाली बुजुर्ग महिला के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार अस्वीकार्य है।” कई जगह नारे लगे — “हरजीत कौर belongs here” और “हमारी दादी को छोड़ो”। सिख समुदाय का कहना है कि यह कार्रवाई भेदभावपूर्ण है और बुजुर्ग महिला के अधिकारों का हनन करती है।
कानूनी पृष्ठभूमि
अमेरिकी अधिकारियों ने साफ किया है कि हरजीत कौर ने कई अपीलें कीं, लेकिन सभी अदालतों में हारने के बाद अब कानूनन उन्हें डिपोर्ट करना पड़ा। हालांकि, उनके वकील और समर्थकों का कहना है कि यह मामला संवेदनशील था और मानवीय आधार पर उन्हें राहत दी जा सकती थी।
भारत वापसी
हरजीत कौर को दिल्ली लाया गया है और फिलहाल वह अपने परिजनों के साथ हैं। हालांकि, परिवार का कहना है कि उनका जीवन का अधिकांश हिस्सा अमेरिका में बीता और अब अचानक सब छिन जाने से वे बेहद टूट चुकी हैं।