लेह/नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025
लद्दाख की राजधानी लेह में बुधवार को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की माँग को लेकर हुआ आंदोलन हिंसा में बदल गया, जिसके बाद प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया। इस बीच, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्हें जेल में डाला गया तो हालात और बिगड़ेंगे, क्योंकि असली समस्या जनता की माँगों से भागने की है।
मौतें, घायलों की संख्या और कर्फ्यू
बुधवार को हुए टकराव में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें 30 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि हिंसा सुबह 11.30 बजे शुरू हुई और शाम 4 बजे तक स्थिति नियंत्रण में लाई जा सकी। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने मृतकों की पुष्टि करते हुए कहा कि एहतियातन लेह और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। गुरुवार को लेह का मुख्य बाज़ार पूरी तरह बंद रहा और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।
गिरफ्तारी और सुरक्षा इंतज़ाम
प्रशासन ने हिंसा में शामिल संदिग्धों पर कार्रवाई करते हुए 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। लेह में धारा 163 लागू की गई, जिसके तहत पाँच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है। क़रीब सभी कस्बों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई। कर्गिल में भी बंद का ऐलान किया गया और आवाजाही पर सख़्त पाबंदियाँ लगाई गईं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने हिंसा की निष्पक्ष जाँच की माँग की और कहा कि प्रशासन ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अनुचित बल प्रयोग किया। संगठन ने मृतकों को “लद्दाख के नायक” बताया।
कांग्रेस नेता करण सिंह ने कहा कि युवाओं की मांगों को गंभीरता से सुनना चाहिए, क्योंकि लद्दाख हमेशा भारत समर्थक रहा है।
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने केंद्र से तुरंत संवाद शुरू करने की अपील की और कहा कि लद्दाख जैसे सीमा क्षेत्र की आकांक्षाओं को अनसुना करना सुरक्षा के लिए खतरनाक है।
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि राज्य का दर्जा बहाल न करने के कारण ही गुस्सा भड़का और बीजेपी दफ़्तर को निशाना बनाया गया।
CPI(M) ने केंद्र सरकार के रवैये को दोषी ठहराते हुए दमन की निंदा की।
सोनम वांगचुक पर आरोप और बयान
गृह मंत्रालय ने हिंसा की ज़िम्मेदारी जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर डालते हुए कहा कि उनके “उकसावे भरे बयानों” से भीड़ भड़की। लेकिन वांगचुक ने इसे खारिज करते हुए कहा, “यह बलि का बकरा बनाने की कोशिश है। मुझे जेल में डालना सरकार के लिए और बड़ी समस्या खड़ी कर देगा। असली सवाल यह है कि जनता की जायज़ माँगों को क्यों नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।” उन्होंने साफ कहा कि अगर उन पर पब्लिक सेफ़्टी ऐक्ट (PSA) लगाया गया तो भी वे तैयार हैं।
आगे की चुनौती
लद्दाख की जनता 2019 से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की माँग कर रही है। हाल ही में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने मिलकर आंदोलन को तेज़ किया। सरकार से बातचीत न होने पर भूख हड़ताल और बंद का ऐलान किया गया, जिसका परिणाम अब हिंसा के रूप में सामने आया है। इसे 1989 के बाद लद्दाख की सबसे गंभीर घटना माना जा रहा है।
फिलहाल हालात तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताए जा रहे हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार और आंदोलनकारी संगठनों के बीच संवाद से समाधान निकलता है या संघर्ष और गहराता है।