पटना/नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025
भाजपा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीतिक तैयारियों को तेज करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को राज्य का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। पार्टी ने इस फैसले के साथ यह साफ संदेश दिया है कि बिहार चुनाव भाजपा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता पर हैं और संगठन इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी बनाने के पीछे उनकी संगठनात्मक क्षमता, जमीनी राजनीति की समझ और पिछले चुनावों में उनकी सफलता का अनुभव अहम माना जा रहा है। वे कई राज्यों में चुनाव अभियान का नेतृत्व कर चुके हैं और वहां पार्टी को मजबूती दिलाई है। इस बार बिहार में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह चुनाव केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा।
धर्मेंद्र प्रधान को बिहार प्रभारी बनाने के साथ ही भाजपा ने दो वरिष्ठ नेताओं को भी सह-प्रभारी नियुक्त किया है। इनमें गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे केशव प्रसाद मौर्य शामिल हैं। इन दोनों नेताओं को बिहार चुनावी अभियान में रणनीतिक और संगठनात्मक सहयोग की जिम्मेदारी दी गई है। सीआर पाटिल गुजरात में संगठन संभालने और बूथ प्रबंधन की बारीकियों के लिए जाने जाते हैं, वहीं केशव प्रसाद मौर्य का अनुभव उत्तर प्रदेश की जातिगत और सामाजिक समीकरणों के प्रबंधन में काम आ सकता है। भाजपा का मानना है कि बिहार जैसे राजनीतिक रूप से जटिल राज्य में एक से अधिक नेताओं का अनुभव और सहयोग मिलकर चुनाव अभियान को मजबूती देगा और विपक्ष के गठबंधन को टक्कर देने में मदद करेगा।
बिहार में इस बार का चुनाव खासतौर पर चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि राज्य में जातिगत समीकरण निर्णायक भूमिका निभाते हैं। विशेषकर EBC (अत्यंत पिछड़ी जातियाँ), OBC और दलित वोट बैंक पर सभी दलों की निगाहें टिकी हुई हैं। नीतीश कुमार ने हाल के वर्षों में EBC वर्ग को जोड़ने की रणनीति अपनाई है और विपक्षी महागठबंधन ने इसी वोट बैंक को साधने के लिए 10 सूत्री संकल्प पत्र जारी किया है। ऐसे में भाजपा के सामने यह चुनौती होगी कि वह धर्मेंद्र प्रधान और उनकी टीम की मदद से न केवल अपने परंपरागत वोटरों को बनाए रखे बल्कि EBC और युवाओं तक भी अपनी पहुँच मजबूत करे। यही कारण है कि प्रधान की नियुक्ति को भाजपा की एक सधी हुई चाल माना जा रहा है, क्योंकि वे सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने और विकास के एजेंडे को आगे रखने में सक्षम माने जाते हैं।
भाजपा की चुनावी रणनीति में यह भी साफ झलकता है कि वह बिहार को केवल क्षेत्रीय चुनाव के रूप में नहीं देख रही, बल्कि इसे 2029 के आम चुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव मान रही है। बिहार की 243 विधानसभा सीटें और राज्य की लोकसभा सीटें मिलकर राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा योगदान करती हैं। अगर भाजपा बिहार में मजबूत प्रदर्शन करती है तो यह न केवल NDA की स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि विपक्षी गठबंधन के मनोबल को भी कमजोर करेगा। वहीं अगर पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई, तो यह केंद्र की राजनीति पर भी असर डाल सकता है। इसलिए धर्मेंद्र प्रधान पर बड़ी जिम्मेदारी है कि वे बिहार में भाजपा के लिए जमीन मजबूत करें और पार्टी को निर्णायक बढ़त दिलाएँ।