नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025
बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान एक नए कानूनी विवाद में फंस गए हैं। पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) अधिकारी समीर वानखेड़े ने उनके खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दर्ज किया है। वानखेड़े का आरोप है कि खान दंपति की प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित और प्रसारित वेब सीरीज़ “The Bads of Bollywood” में उनकी छवि को जानबूझकर खराब तरीके से पेश किया गया है। उनका कहना है कि यह प्रस्तुति केवल उनके खिलाफ व्यक्तिगत द्वेष दिखाने के लिए की गई है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई और उन्हें सामाजिक तथा पेशेवर स्तर पर मानसिक क्षति उठानी पड़ी।
वानखेड़े का दावा है कि इस वेब सीरीज़ में उन्हें भ्रष्ट, पक्षपाती और सत्ता का दुरुपयोग करने वाले अधिकारी के रूप में दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि शो में दिखाई गई घटनाएँ पूरी तरह से “दुर्भावनापूर्ण” हैं और इनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। उनके अनुसार, जब यह सीरीज़ बनाई और प्रसारित की गई, उस समय उनसे जुड़े कई मामले अदालत में लंबित थे। ऐसे में इस तरह की सामग्री का प्रसारण न केवल उनकी छवि को खराब करता है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। वानखेड़े का कहना है कि जनता में उनके प्रति गलत धारणा बनाना इस शो का मुख्य उद्देश्य था, और यही कारण है कि उन्हें अब अपनी गरिमा बचाने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है।
मुकदमे में समीर वानखेड़े ने शाहरुख और गौरी खान से ₹2 करोड़ मुआवज़े की मांग की है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि यह हर्जाना अदालत से मंज़ूर होता है, तो इसकी पूरी राशि वह टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल को दान करेंगे। इसके अलावा उन्होंने अदालत से इस वेब सीरीज़ के प्रसारण और वितरण पर तुरंत रोक लगाने की अपील भी की है। वानखेड़े का कहना है कि इस सीरीज़ का प्रसारण जारी रहने से उनकी छवि को और अधिक नुकसान पहुँचेगा और जनता उनके बारे में गलत धारणा बनाती रहेगी।
उन्होंने मुकदमे में एक विशेष दृश्य का उल्लेख भी किया है, जिसमें एक पात्र “सत्यमेव जयते” कहने के तुरंत बाद एक अभद्र इशारा करते हुए दिखाई देता है। वानखेड़े का आरोप है कि यह दृश्य न केवल उनके खिलाफ व्यक्तिगत रूप से आपत्तिजनक है, बल्कि यह राष्ट्रीय सम्मान का अपमान भी है। उन्होंने कहा कि यह कृत्य “Prevention of Insults to National Honour Act, 1971” का उल्लंघन करता है और ऐसे कंटेंट को तुरंत रोका जाना चाहिए। वानखेड़े का मानना है कि इस तरह के दृश्यों को प्रसारित करके निर्माताओं ने उनकी ईमानदारी, देशभक्ति और पेशेवर प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए हैं।
दूसरी तरफ, इस मामले पर अब तक शाहरुख खान, गौरी खान या रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वे अपनी सफाई में अदालत में पक्ष रखेंगे। यह मामला न केवल एक पूर्व सरकारी अधिकारी और बॉलीवुड की सबसे बड़ी हस्तियों के बीच कानूनी लड़ाई को जन्म देता है, बल्कि यह देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के बीच संतुलन को लेकर भी नई बहस खड़ी कर सकता है। फिल्म और मनोरंजन जगत में अक्सर यह सवाल उठता रहा है कि क्रिएटिव स्वतंत्रता की सीमाएँ कहाँ तक जाती हैं और कब यह किसी की छवि या गरिमा को नुकसान पहुँचाने लगती हैं।
अब सबकी नज़र इस पर टिकी है कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है। अगर वानखेड़े के आरोपों को सही ठहराते हुए अदालत वेब सीरीज़ पर रोक लगाती है, तो यह मामला न केवल शाहरुख और गौरी खान बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं यदि अदालत इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में मानती है, तो यह फैसला फिल्मकारों और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए बड़ी राहत बन सकता है। किसी भी स्थिति में, यह मामला आने वाले समय में देशभर में चर्चाओं का केंद्र बनने वाला है।