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पहली बार हंटिंगटन बीमारी का सफल इलाज

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लंदन 25 सितंबर 2025

बीमारी क्या है और क्यों ख़तरनाक मानी जाती है

हंटिंगटन की बीमारी (Huntington’s Disease) एक आनुवंशिक यानी जेनेटिक दिमागी रोग है। यह बीमारी तब होती है जब किसी इंसान के डीएनए में मौजूद एक खास जीन खराब हो जाता है। इस जीन की गड़बड़ी के कारण दिमाग की नसें (न्यूरॉन्स) धीरे-धीरे मरने लगती हैं। शुरुआत में मरीज़ को अपने हाथ-पैर संभालने, चलने-फिरने और बोलने में परेशानी होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति कम होने लगती है और अंत में वह पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाता है। अब तक इस बीमारी का कोई पक्का इलाज मौजूद नहीं था और इसे लाइलाज माना जाता था।

पहली बार सफल इलाज की ऐतिहासिक उपलब्धि

अब वैज्ञानिकों ने पहली बार इस बीमारी का इलाज सफलतापूर्वक किया है। यह काम जीन थेरेपी (Gene Therapy) की मदद से किया गया। जीन थेरेपी का मतलब है कि दिमाग में खराब हो चुके जीन को ठीक करने की कोशिश करना। इसके लिए डॉक्टरों ने एक खास वायरस का इस्तेमाल किया, जिसे इस तरह बदला गया कि वह बीमारी फैलाने की जगह खराब जीन को सही करने में मदद करे। इस वायरस को मरीज़ के दिमाग में बहुत सावधानी से डाला गया और यह सीधे उन हिस्सों तक पहुँचाया गया जहाँ बीमारी सबसे ज़्यादा असर करती है।

इलाज कैसे हुआ और नतीजे क्या रहे

यह इलाज ब्रिटेन और अमेरिका के 29 मरीजों पर आज़माया गया। प्रक्रिया बेहद कठिन थी क्योंकि इसमें डॉक्टरों को 12 से 20 घंटे तक ऑपरेशन करना पड़ा। इस दौरान एक बारीक नली (कैथेटर) के जरिए दिमाग के दो अलग-अलग हिस्सों में जीन थेरेपी डाली गई। जब वैज्ञानिकों ने तीन साल बाद नतीजे देखे तो पाया कि बीमारी की गति लगभग 75% तक धीमी हो गई। मतलब, मरीजों का दिमाग पहले की तरह तेजी से खराब नहीं हो रहा था। जिन संकेतों से पता चलता है कि दिमाग की कोशिकाएं मर रही हैं, वे भी काफी कम हो गए।

इलाज की अगुवाई करने वाली डॉक्टर

इस ऐतिहासिक इलाज की अगुवाई प्रोफेसर सारा टाब्रीज़ी (Prof. Sarah Tabrizi) ने की है, जो लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज (UCL) में न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर हैं और विश्व की प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट में गिनी जाती हैं। वह लंबे समय से हंटिंगटन बीमारी पर शोध कर रही हैं और इस बीमारी को समझने तथा उसका इलाज खोजने में उनका योगदान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रोफेसर टाब्रीज़ी ने ही इस जीन थेरेपी ट्रायल की निगरानी की और उनकी टीम ने साबित किया कि दिमाग में खराब जीन को सही करके बीमारी की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है। उन्हें न सिर्फ़ ब्रिटेन बल्कि पूरी दुनिया में इस क्षेत्र की सबसे अग्रणी विशेषज्ञ माना जाता है, और उनके नेतृत्व में यह सफलता मेडिकल साइंस के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुई है।

वैज्ञानिकों की राय और भविष्य की उम्मीदें

इस प्रयोग को करने वाली टीम का कहना है कि यह खोज बेहद बड़ी है। प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर सारा टाब्रीज़ी ने कहा कि यह नतीजे “इतिहास बनाने वाले” हैं। उनका मानना है कि आने वाले समय में यह थेरेपी सिर्फ़ उन लोगों को ही नहीं दी जाएगी जिनमें बीमारी शुरू हो चुकी है, बल्कि उन लोगों को भी दी जा सकेगी जिनमें बीमारी का खतरा है लेकिन अभी लक्षण नहीं दिखे हैं। इसका मतलब यह होगा कि बीमारी के लक्षण सामने आने से पहले ही उसे रोक दिया जाए। हालांकि यह प्रक्रिया आसान नहीं है और अभी भी इसमें बहुत सुधार की ज़रूरत है, लेकिन शुरुआत बेहद उम्मीद जगाने वाली है।

मरीजों और परिवारों के लिए नई उम्मीद

यह खोज उन लाखों मरीजों और परिवारों के लिए आशा की किरण है जो अब तक इस बीमारी से हार मान चुके थे। यह बीमारी न केवल मरीज को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ देती है, बल्कि परिवार को भी गहरी चिंता और तकलीफ में डाल देती है। अब यह साबित हो गया है कि हंटिंगटन जैसी गंभीर और आनुवंशिक बीमारी भी लाइलाज नहीं है। भविष्य में अगर यह इलाज और बेहतर होता है और ज्यादा लोगों तक पहुँचता है, तो यह दुनिया भर में हजारों परिवारों की ज़िंदगी बदल सकता है।

 

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