वाशिंगटन / मॉस्को 25 सितंबर 2025
अमेरिका का बदलता रुख: ट्रम्प ने यूक्रेन को मजबूत बताया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपनी नीति में अप्रत्याशित मोड़ लेते हुए कहा है कि अगर NATO और यूरोपीय देश खुलकर सैन्य और आर्थिक मदद करें तो यूक्रेन न केवल अपनी रक्षा कर सकता है बल्कि रूस के कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को वापस पा सकता है। ट्रम्प ने रूस को “पेपर टाइगर” यानी कागज़ का बाघ करार दिया और यह दावा किया कि रूस उतना मजबूत नहीं है जितना वह दुनिया के सामने खुद को पेश करता है। उन्होंने यूरोपीय देशों को सीधा संदेश देते हुए कहा कि अगर रूसी विमान NATO देशों की वायुसीमा का उल्लंघन करें तो उन्हें तुरंत गिरा देना चाहिए। यह बयान उनके पुराने विचारों से बिल्कुल अलग है, जब वे युद्ध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों से समझौता और रियायतों की बात किया करते थे।
रूस की कड़ी प्रतिक्रिया: “ट्रम्प हकीकत से दूर हैं”
ट्रम्प के इन बयानों ने रूस को कड़ा रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया। क्रेमलिन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान “सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी” हैं और वास्तविकता से कोई संबंध नहीं रखते। रूस के प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने कहा कि रूसी सेना और अर्थव्यवस्था किसी भी तरह कमजोर नहीं है और जो युद्ध हो रहा है, वह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पेस्कोव ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका और NATO जानबूझकर यूक्रेन को हवा दे रहे हैं, जिससे युद्ध और लंबा खिंच रहा है। वहीं रूसी राष्ट्रवादी नेताओं ने ट्रम्प की टिप्पणियों का मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि यह बयान उनके चुनावी और अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से दिए जा रहे हैं, न कि किसी वास्तविक आकलन पर आधारित हैं।
यूक्रेन का सतर्क स्वागत: “बातों को काम में बदलना होगा”
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने ट्रम्प के रुख का स्वागत किया, लेकिन साथ ही सावधानी भी जताई। उन्होंने कहा कि यह बयान सकारात्मक संकेत जरूर है, लेकिन असली फर्क तभी पड़ेगा जब इन शब्दों को वास्तविक कदमों में बदला जाएगा। यूक्रेन लंबे समय से अमेरिका और यूरोप से लगातार मदद ले रहा है, लेकिन वह यह भी जानता है कि निर्णायक मोड़ पर ठोस सैन्य और वित्तीय सहयोग ही उसकी सबसे बड़ी ज़रूरत है। यूक्रेनी नागरिक भी इस बयान को उम्मीद की किरण मान रहे हैं, हालांकि उन्हें संदेह है कि क्या अमेरिका वास्तव में अपने शब्दों को गंभीर नीतिगत बदलावों में बदलेगा।
तीनों देशों के बीच बढ़ता तनाव
अमेरिका, रूस और यूक्रेन — इन तीनों देशों के बीच अब केवल सैन्य टकराव ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी तीखा संघर्ष सामने आ गया है। एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति खुले तौर पर यूक्रेन को पूर्ण विजय की संभावना जता रहे हैं, दूसरी तरफ रूस इसे अपनी ताकत पर हमला और “झूठा प्रचार” करार दे रहा है। वहीं यूक्रेन इन बयानों को नैतिक और राजनीतिक समर्थन के रूप में ले रहा है, लेकिन उसकी नज़र ठोस मदद पर टिकी हुई है। इससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में यह संघर्ष केवल युद्धभूमि पर ही नहीं, बल्कि विश्व राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के हर मंच पर और तेज़ी से गूंजेगा।