पटना से उठा ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ का स्वर
पटना के ऐतिहासिक सदाकत आश्रम से कांग्रेस और महागठबंधन ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव और कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ पत्र जारी किया गया। इसका केंद्रबिंदु सामाजिक न्याय, जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने का संकल्प था।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में दो बड़े वादों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर पूरे देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी और आरक्षण में 50% की सीमा को तोड़कर समाज के वंचित वर्गों को उनकी आबादी के अनुपात में अधिकार दिलाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आज भी अतिपिछड़ा, पिछड़ा, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग अपनी वास्तविक हिस्सेदारी से वंचित हैं। जातिगत जनगणना से यह सच्चाई देश के सामने लानी जरूरी है।
दस सूत्रीय ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’
महागठबंधन ने मिलकर दस संकल्पों का ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जिसे राहुल गांधी ने “अतिपिछड़ा समाज का विजन” बताया। इसमें शामिल हैं:
- ‘अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम’ लाना।
- पंचायत और नगर निकायों में अतिपिछड़ा वर्ग का आरक्षण 20% से बढ़ाकर 30% करना।
- आरक्षण की 50% सीमा तोड़कर कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना।
- भर्ती प्रक्रिया में “Not Found Suitable” अवधारणा खत्म करना।
- अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में सही संतुलन के लिए कमेटी बनाना।
- सभी भूमिहीनों को शहरी क्षेत्र में 3 डेसिमल और ग्रामीण क्षेत्र में 5 डेसिमल जमीन देना।
- शिक्षा के अधिकार अधिनियम में आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा कमजोर वर्गों को देना।
- 25 करोड़ तक के सरकारी ठेकों में 50% आरक्षण का प्रावधान।
- निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू करना।
- उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन।
ये संकल्प पत्र न केवल घोषणापत्र का हिस्सा हैं बल्कि महागठबंधन की प्राथमिकताओं का स्पष्ट रोडमैप भी माने जा रहे हैं।
खड़गे का हमला: “मनुवाद का एजेंडा और गरीबों का दमन”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने संबोधन में सीधे नीतीश कुमार और बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के बीजेपी से जाने का मतलब है कि वे मनुवाद को बढ़ावा देना चाहते हैं। खड़गे ने कहा कि बीजेपी सरकार का असली चेहरा गरीबों, दलितों और पिछड़ों को तबाह करना है। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस और महागठबंधन की सरकार बनने पर ‘10 पॉइंट प्रोग्राम’ तुरंत लागू किया जाएगा।
संगठन सृजन और ‘वोट चोरी’ अभियान
कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने विस्तारित कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक में दो प्रस्ताव पारित हुए — एक राष्ट्रीय राजनीति पर और दूसरा बिहार की स्थिति पर। बैठक में संगठन सृजन अभियान, ‘वोट चोरी’ विरोधी आंदोलन और बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान पर भी चर्चा हुई। 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान में 5 करोड़ हस्ताक्षर जुटाकर चुनाव आयोग से सवाल पूछे जाएंगे।
युवाओं की आवाज: कन्हैया कुमार और एनएसयूआई का रुख
एनएसयूआई अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि बिहार में औद्योगिकीकरण और शिक्षा की ऐतिहासिक धरोहर रही है, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे बर्बाद कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘वोट चोरी’ से बनी सरकारें न केवल वोट चुराती हैं बल्कि युवाओं का भविष्य, रोजगार और अधिकार भी छीन लेती हैं।
कांग्रेस का आरोप: चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर सवाल
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर कई मोर्चों से हमला किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग सरकार का कठपुतली बन गया है और ‘वोट चोरी’ के मामलों पर कोई जवाब नहीं दे रहा है। उन्होंने नोटबंदी, GST और कूटनीति की असफलताओं को गिनाते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था और विदेश नीति दोनों को कमजोर किया है। जयराम रमेश ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना कराने का ऐलान भी कांग्रेस और महागठबंधन के दबाव का नतीजा है।
सामाजिक न्याय की राजनीति की नई इबारत
पटना से जारी हुआ ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र’ आने वाले चुनावी परिदृश्य में बड़ा मुद्दा बन सकता है। राहुल गांधी और खड़गे ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस सामाजिक न्याय और आरक्षण को लेकर आक्रामक रणनीति अपनाएगी। दूसरी ओर, ‘वोट चोरी’ अभियान और संगठन सृजन कार्यक्रम पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कोशिश है। बिहार से उठी यह आवाज संभव है कि आने वाले महीनों में राष्ट्रीय राजनीति की दिशा और बहस को नई धार दे।