कीव 24 सितंबर 2025
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि भारत यूक्रेन के संघर्ष में “ज़्यादातर हमारे साथ” खड़ा है। उन्होंने यह टिप्पणी अमेरिकी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में की, जहाँ उन्होंने भारत और रूस के बीच ऊर्जा आयात को लेकर जारी समीकरण पर भी बात की। ज़ेलेंस्की का मानना है कि भारत पश्चिमी देशों और अमेरिका के साथ गहरे रिश्ते बनाकर अपनी नीति में बदलाव कर सकता है।
भारत की भूमिका और संतुलित नीति
भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक एक संतुलित रुख अपनाए हुए है। एक तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कई बार शांति और संवाद का समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर उसने अपने ऊर्जा सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। यही वजह है कि पश्चिमी देश समय-समय पर भारत से रूस पर निर्भरता घटाने की अपील करते रहे हैं।
ज़ेलेंस्की ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत ज़्यादातर हमारे साथ है। ऊर्जा का प्रश्न है, लेकिन मुझे भरोसा है कि इसे सुधारा जा सकता है।” उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत और यूक्रेन के बीच सहयोग को और मज़बूत बना सकते हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
ज़ेलेंस्की ने चीन और भारत की तुलना करते हुए कहा कि चीन के लिए रूस से दूरी बनाना आसान नहीं होगा, क्योंकि उसके आर्थिक और रणनीतिक हित गहरे जुड़े हैं। जबकि भारत के लिए पश्चिमी देशों के साथ साझेदारी बढ़ाने की गुंजाइश अधिक है। उन्होंने पश्चिमी राष्ट्रों से आह्वान किया कि वे भारत के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करें।
भू-राजनीतिक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ज़ेलेंस्की का यह बयान भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) की नीति की पुष्टि करता है। भारत रूस से अपने पुराने रक्षा और ऊर्जा सहयोग को जारी रखे हुए है, लेकिन साथ ही अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन को यह संदेश देता रहता है कि वह शांति और संवाद का पक्षधर है। आने वाले दिनों में भारत की भूमिका वैश्विक शक्ति संतुलन तय करने में और अहम हो सकती है।