लन्दन, 24 सितंबर 2025 —
क्रिकेट जगत को एक बड़ा ऑपशन और दिल से जुड़े चेहरे को खो दिया है। इंग्लैंड के प्रतिष्ठित अंपायर हारोल्ड “डिकी” बर्ड का मंगलवार को निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर क्रिकेट प्रशंसकों और खिलाड़ियों के बीच गहरी शोक लहर छोड़ गई है।
दिकी बर्ड ने umpiring की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई — न केवल अपने निर्णयों की सटीकता के लिए बल्कि अनोखी शख्सीयत, गर्मजोशी, हास्य और मैदान पर मानव स्पर्श देने की छाप के लिए। उनका करियर 1970 के दशक में शुरू हुआ और उन्होंने 66 टेस्ट मैच और 69 एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI) मुकाबलों में अंपायरिंग की।
भारत और वेस्टइंडीज के साथ गहरा संबंध
डिकी बर्ड का भारत और वेस्टइंडीज दोनों से विशेष सम्बन्ध रहा। उनकी अंपायरिंग में उन्होंने उन मुकाबलों को देखा जिनमें भारतीय और वेस्टइंडीज टीमें आमने-सामने आई थीं। एक खास यादगार क्षण था 1983 विश्व कप फाइनल, जिसमें बर्ड अंपायरिंग करते थे। Jउनका एक और यादगार पल था जब उन्होंने लॉर्ड्स, लंदन में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वाले मैच में भारत और इंग्लैंड की टीमों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उस अवसर पर भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी थी।
करियर की विशेषताएँ और स्टाइल
डिकी बर्ड का स्टाइल अकल्पनीय था — वे निर्णय देते समय कभी जल्दी नहीं करते थे, लेकिन जब वे कोई फैसला देते थे, तो वह स्पष्ट और निर्भीक होता था। वे गेंदबाजी पिच पर पानी की स्थिति देखकर मैच रुकवाने के लिए कदम उठाते थे, और अपने हाव-भाव, हल्की मुस्कान और मैदान के खिलाड़ियों से संवाद शैली के लिए जाने जाते थे।
उनका करियर कई विवादों और चुनौतियों से गुजरता रहा। उदाहरण के लिए, 1973 में एक मैच के दौरान बम की धमकी देने के बाद स्टेडियम को खाली कराया गया था। इस समय उन्होंने मैदान पर ही शांति बनाए रखी और कुछ समय के लिए मैदान के बीच में बैठ गए, जिससे खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों को आश्चर्य हुआ।
सम्मान, छोड़ गया एक विरासत
डिकी बर्ड को उनके क्रिकेट और सेवा के योगदान के लिए OBE (Officer of the Order of the British Empire) से सम्मानित किया गया था।
उनकी आत्मकथा लाखों प्रतियों में बिक चुकी है और क्रिकेट प्रेमियों के बीच लोकप्रिय रही। उन्होंने डिकी बर्ड फाउंडेशन भी स्थापित किया, जिसका उद्देश्य युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करना और खेल के क्षेत्र में अवसर देना है।
उनका निधन के बाद, उनकी पुरानी टीमों यॉर्कशायर और लीसेस्टरशायर, क्रिकेट बोर्डों और खिलाड़ियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। डिकी बर्ड केवल एक अंपायर नहीं थे; वे क्रिकेट का एक जिंदा प्रतीक बन गए थे, जिन्होंने न्याय, आत्मीयता और हास्य को मिलाकर क्रिकेट को और इंसानियत से जोड़ दिया। उनके जाने से umpiring की दुनिया एक बेहद मुलायम किस्म की पारी की कमाई खो बैठी है।