पटना, 23 सितंबर 2025
बिहार की सियासत में आज हलचल तब तेज़ हो गई जब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने अपने ही दल के दो बड़े नेताओं पर निशाना साध दिया। सिंह ने साफ कहा है कि उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं। ऐसे में या तो वे तुरंत जनता के सामने स्पष्ट जवाब पेश करें, या फिर अपने पदों से इस्तीफा दें।
आरके सिंह ने कहा कि प्रशांत किशोर ने जिन मुद्दों को उठाया है, वे जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। अगर इन आरोपों में सच्चाई नहीं है तो सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल को सामने आकर तथ्यों के साथ सफाई देनी चाहिए। और अगर वे ऐसा नहीं कर सकते, तो पार्टी की साख बचाने के लिए पद छोड़ देना ही सही विकल्प है। सिंह ने यहाँ तक कहा कि यदि आरोप झूठे हैं तो नेताओं को प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करना चाहिए, ताकि सच सामने आ सके।
प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान के तहत सम्राट चौधरी पर उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर सवाल खड़े किए हैं। आरोप है कि उन्होंने दसवीं कक्षा भी पास नहीं की, लेकिन फिर भी उन्हें D-Litt की डिग्री कैसे मिली। वहीं दिलीप जायसवाल पर हत्या और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों का हवाला दिया गया है। इन आरोपों ने बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरके सिंह का यह बयान पार्टी के भीतर असंतोष और दबाव का संकेत है। विपक्ष पहले से ही इन मुद्दों को उछाल रहा है और जनता के बीच इसे “पारदर्शिता बनाम भ्रष्टाचार” के रूप में पेश कर रहा है। जदयू और भाजपा के कई नेता अभी इस मामले पर चुप्पी साधे हैं, लेकिन अंदरखाने में माना जा रहा है कि यह मामला पार्टी की छवि पर असर डाल सकता है।
निष्कर्ष यही है कि बिहार भाजपा के लिए यह समय परीक्षा का है। सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल के जवाब पर ही तय होगा कि पार्टी इस विवाद से मज़बूती से निकलेगी या फिर विपक्ष को और हमले का मौका मिलेगा।