मुंबई 21 सितंबर 2028
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में नेतृत्व का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। लंबे समय से चर्चा थी कि पूर्व ऑफ स्पिनर और स्टार क्रिकेटर हरभजन सिंह अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार होंगे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। बोर्ड की बैठकों और आंतरिक बातचीत के बाद यह साफ हो गया है कि BCCI का अगला अध्यक्ष पूर्व दिल्ली और जम्मू-कश्मीर क्रिकेटर मिथुन मन्हास होंगे। यह फैसला न केवल क्रिकेट बिरादरी को हैरान करता है बल्कि यह भी संकेत देता है कि बोर्ड अब घरेलू स्तर पर काम करने वाले और प्रशासनिक पकड़ रखने वाले चेहरों को आगे लाना चाहता है।
मिथुन मन्हास का नाम किसी बड़े सितारे के तौर पर भारतीय क्रिकेट में नहीं रहा है, क्योंकि उन्होंने कभी भारतीय टीम से इंटरनेशनल मैच नहीं खेला। फिर भी, उनका घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन और योगदान काफी प्रभावशाली रहा है। दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की टीमों के लिए लंबे समय तक खेलते हुए मन्हास ने खुद को एक भरोसेमंद बल्लेबाज और मजबूत कप्तान के तौर पर स्थापित किया। बाद में वे क्रिकेट प्रशासन में भी सक्रिय हो गए। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) ने उन्हें BCCI अध्यक्ष पद के लिए नामित किया और अब इस नाम पर सर्वसम्मति बन गई है।
इस पूरे समीकरण में सबसे अहम बात यह है कि राजीव शुक्ला उपाध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। शुक्ला भारतीय क्रिकेट राजनीति के पुराने और अनुभवी चेहरे हैं, जिनका बोर्ड में प्रभाव काफी गहरा माना जाता है। उनके अनुभव और राजनीतिक संपर्कों को देखते हुए यह तय था कि उन्हें इस बार भी पद से हटाना आसान नहीं होगा। इसी तरह, IPL चेयरमैन अरुण धूमल और सचिव देवाजित सैकिया भी अपने-अपने पदों पर बने रहेंगे। जबकि खजांची (Treasurer) के लिए रघुराम भट्ट का नाम लगभग पक्का हो चुका है। यह संकेत है कि बोर्ड में निरंतरता बनाए रखते हुए सिर्फ शीर्ष चेहरा बदलने का निर्णय लिया गया है।
BCCI की सालाना आम सभा (AGM) 28 सितंबर को होने वाली है, जिसमें इन सभी नामों पर औपचारिक मुहर लगनी है। AGM से पहले ही यह स्पष्ट हो गया है कि चुनावी टकराव की कोई गुंजाइश नहीं है और सभी नामों पर सहमति बन चुकी है। इससे यह भी जाहिर होता है कि बोर्ड के भीतर सत्ता समीकरण पूरी तरह संतुलित कर लिए गए हैं।
यह फैसला भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए भी अहम है। हरभजन सिंह जैसे बड़े और लोकप्रिय खिलाड़ी के नाम को दरकिनार करना यह दिखाता है कि बोर्ड फिलहाल पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों को तुरंत सत्ता में लाने से परहेज कर रहा है। इसके बजाय ऐसे व्यक्तियों को आगे बढ़ाया जा रहा है जिन्होंने क्रिकेट को जमीनी स्तर पर जिया है और जिनकी राजनीतिक स्वीकार्यता ज्यादा विवादित नहीं है। मन्हास का अध्यक्ष बनना शायद यह संकेत हो कि BCCI अब क्रिकेट प्रशासन को खेल के अनुभव और संगठित काम करने की क्षमता के साथ जोड़कर देखना चाहता है।