दुबई से आई इस खबर ने फास्ट-फूड इंडस्ट्री की सोच बदल दी है। आमतौर पर जब हम फास्ट-फूड चेन का नाम सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में तैलीय बर्गर, फ्राइज और ज्यादा मुनाफे का खेल आता है। लेकिन Hardee’s ने यह साबित कर दिया है कि यह इंडस्ट्री केवल स्वाद बेचने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का भी हौसला रखती है। खाने की बर्बादी को रोकने और उसे जरूरतमंदों तक पहुँचाने की यह पहल अब एक ऐसी मिसाल बन गई है, जिससे बाकी ब्रांड्स भी प्रेरणा ले सकते हैं।
भूखों तक पहुंचेगा खाना, कूड़ेदान तक नहीं
Hardee’s ने UAE Food Bank के साथ साझेदारी की है और करीब $44,000 (Dh161,590) का योगदान किया है। इस साझेदारी के तहत आउटलेट्स से बचा हुआ ताज़ा और सुरक्षित खाना सीधे उन लोगों तक पहुँचाया जाएगा जिनकी थाली अक्सर खाली रहती है। यह कदम महज दान नहीं है, बल्कि यह साबित करता है कि खाने की बर्बादी को कम करके किसी की भूख मिटाई जा सकती है। जब बड़े रेस्टोरेंट चेन अपने सिस्टम से खाने को रिसायकल कर देंगे, तो समाज में भूख और बर्बादी दोनों कम होंगे।
टेक्नोलॉजी और ट्रेनिंग का स्मार्ट कॉम्बिनेशन
Hardee’s ने अपने कर्मचारियों को यह सिखाने पर जोर दिया है कि हर सामग्री की कीमत होती है। इसके लिए इन्वेंट्री मैनेजमेंट और डिमांड प्रेडिक्शन जैसे टूल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि जितनी ज़रूरत है उतना ही खाना तैयार किया जाए। साथ ही, कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है कि वे पोर्शन कंट्रोल, स्टोरेज और री-अलोकेशन जैसी तकनीकों से खाने की बर्बादी कम कर सकें। अब बची हुई सामग्री को ट्रैक किया जाएगा और उसका रिकॉर्ड रखा जाएगा, ताकि भविष्य में उसका सही इस्तेमाल हो सके।
आंकड़े बताते हैं क्यों जरूरी है यह कदम
UAE में हर साल करीब 3.27 मिलियन टन खाना बर्बाद हो जाता है, जिसकी कीमत लगभग $3.5 अरब बैठती है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और बताता है कि खाने की बर्बादी सिर्फ सामाजिक समस्या नहीं बल्कि एक बड़ा आर्थिक नुकसान भी है। इतना ही नहीं, हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री इस बर्बादी का लगभग 30% हिस्सा है, यानी होटल, रेस्टोरेंट और फास्ट-फूड आउटलेट्स ही इसका बड़ा कारण हैं। यही वजह है कि जब Hardee’s जैसी बड़ी चेन इस दिशा में कदम बढ़ाती है, तो यह पूरे सेक्टर के लिए एक मिसाल बन जाती है।
सतत विकास के लक्ष्य की ओर बड़ा कदम
संयुक्त राष्ट्र ने अपने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) 12.3 में साफ कहा है कि 2030 तक दुनिया को खाद्य अपव्यय और हानि को 50% तक कम करना होगा। UAE ने इस लक्ष्य को अपनाया है और Hardee’s की यह पहल उसी दिशा में एक अहम कदम है। जब कॉर्पोरेट ब्रांड्स अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों से जुड़कर आगे आते हैं, तो यह दिखाता है कि केवल सरकारें ही नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र भी बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं।
फास्ट-फूड का नया स्वाद: जिम्मेदारी का अहसास
Hardee’s की इस पहल ने फास्ट-फूड को एक नए रंग में पेश किया है। अब बर्गर और फ्राइज सिर्फ भूख मिटाने का साधन नहीं रह गए हैं, बल्कि इनके पीछे एक संदेश भी छिपा है—“नो वेस्ट, ऑनली टेस्ट।” यह सोच न सिर्फ पर्यावरण के लिए सकारात्मक है बल्कि समाज की भलाई के लिए भी एक बड़ा कदम है। अगली बार जब कोई ग्राहक Hardee’s का बर्गर उठाएगा, तो उसके साथ यह भरोसा भी होगा कि इस खाने के पीछे किसी की भूख मिटाने का जज़्बा भी जुड़ा है।