नई दिल्ली 19 सितंबर 2025
‘मोदी का तोहफ़ा’ या जनता की जेब पर डाका?
कोविड महामारी के दौरान मोदी सरकार और भाजपा ने लगातार यह दावा किया कि देशवासियों को “फ्री कोविड वैक्सीन” दी जा रही है। इसे बार-बार प्रधानमंत्री मोदी का तोहफ़ा बताया गया। लेकिन अब सामने आ रहा है कि यह ‘तोहफ़ा’ असल में विदेशी बैंकों से लिए गए कर्ज़ का बोझ था, जिसे जनता अपने टैक्स से चुका रही है। इस सिलसिले की पोल खोल करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने X पर कच्चे चिट्ठे को उजागर किया है।
26,460 करोड़ सिर्फ वैक्सीन के लिए
आधिकारिक दस्तावेज़ बताते हैं कि मोदी सरकार ने सिर्फ़ कोविड वैक्सीन खरीदने के लिए ही कम से कम 3 अरब डॉलर यानी 26,460 करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज़ लिया। यानी जो टीका ‘फ्री’ बताया गया, उसकी असल कीमत आज हर भारतीय नागरिक टैक्स देकर चुका रहा है। यह कर्ज़ सिर्फ वैक्सीन पर हुआ खर्च है, जबकि पूरे कोविड प्रबंधन के नाम पर कुल विदेशी कर्ज़ 64,000 करोड़ रुपये (7.25 अरब डॉलर) लिया गया।
PM CARES फंड: रहस्यों से घिरा ‘प्राइवेट खजाना’
कोविड के दौरान सरकार ने एक अलग फंड बनाया – PM CARES Fund। इसमें हजारों करोड़ रुपये की दान राशि इकट्ठा हुई। लेकिन जब पारदर्शिता की मांग उठी, तो सरकार ने इसे ‘निजी फंड’ बताकर जानकारी देने से साफ़ इनकार कर दिया। यह फंड सरकारी प्रतीक चिन्ह और वेबसाइट के ज़रिए चलाया गया, फिर भी इसे निजी बताया गया। सवाल उठता है कि जब हजारों करोड़ रुपये PM CARES में जमा हुए थे, तो फिर 64,000 करोड़ का विदेशी कर्ज़ क्यों लिया गया?
विदेशी कर्ज़ + ग़ायब पारदर्शिता = सबसे बड़ा स्कैम
कोविड जैसी आपदा को सरकार ने ‘दान और कर्ज़’ का खेल बना दिया। विदेशी बैंकों से मोटा कर्ज़ लेकर जनता पर बोझ डाला गया और दूसरी तरफ़ PM CARES जैसे फंड को रहस्यमयी बना दिया गया, जिसमें न तो दानदाताओं की सूची है और न ही खर्च का हिसाब। यह साफ़ दिखाता है कि कोविड संकट को सत्ता ने अपने राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया।
जनता का गुस्सा, सरकार के जवाब का इंतज़ार
जब जनता बेरोज़गारी, महंगाई और स्वास्थ्य संकट से जूझ रही थी, तब सरकार ने उनके नाम पर विदेशी कर्ज़ लिया और बाद में इसे ‘मोदी का तोहफ़ा’ बता दिया। यह दरअसल जनता की जेब पर हमला और देश की अर्थव्यवस्था पर डाका है। अब सबसे बड़ा सवाल है — क्या मोदी सरकार बताएगी कि PM CARES फंड का पैसा आखिर कहां गया? और क्यों जनता को अब तक विदेशी कर्ज़ की EMI भरनी पड़ रही है?