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CEC पर राहुल गांधी का सीधा हमला – वोट चोरी के सबूत रोकने का आरोप

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नई दिल्ली, 19 सितम्बर 2025

चुनाव आयोग की तरफ से आए बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ज़ोरदार पलटवार किया है। आयोग ने उनके आरोपों को “गलत और निराधार” बताया था, लेकिन राहुल गांधी ने ट्विटर पर आग उगलते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को सीधा घेरा। राहुल ने साफ लिखा कि कर्नाटक की आलंद विधानसभा से जुड़े वोट चोरी मामले की जांच को खुद ज्ञानेश कुमार रोक रहे हैं।

सबूत रोके गए, जांच रोकी गई – सब कुछ CEC ने ब्लॉक किया

राहुल गांधी ने ट्वीट में खुलासा किया कि आलंद के कांग्रेस उम्मीदवार ने धांधली का पर्दाफाश किया तो स्थानीय चुनाव आयोग अधिकारी ने FIR दर्ज की थी। लेकिन जब CID ने जांच शुरू की, तो हर बार चुनाव आयोग ने दीवार खड़ी कर दी।

  1. 18 महीने में CID ने 18 चिट्ठियाँ लिखीं, मगर सबूत नहीं दिए गए।
  1. IP एड्रेस, डिवाइस पोर्ट और OTP के रिकॉर्ड तक रोक दिए गए।
  1. कर्नाटक EC ने बार-बार अनुरोध भेजा, मगर जवाब सिर्फ चुप्पी और टालमटोल रहा।
  1. राहुल का आरोप साफ है – चुनाव आयोग खुद अपराधियों की ढाल बन चुका है।

6,018 वोट अगर कट जाते तो हार जाता हमारा उम्मीदवार

राहुल गांधी ने और भी बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि अगर ये वोट चोरी का खेल पकड़ में नहीं आता, तो आलंद में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हार में बदल सकती थी। “6,018 वोट डिलीट होने वाले थे, लेकिन समय रहते पकड़े गए। यह सीधा-सीधा लोकतंत्र की हत्या की कोशिश थी।” राहुल का यह बयान न सिर्फ चुनाव आयोग की साख पर हमला है बल्कि बीजेपी के खिलाफ जनता में गुस्सा भी भड़का सकता है।

CEC ज्ञानेश कुमार पर सीधा वार – “अब बहाने मत बनाओ”

राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को नाम लेकर चुनौती दी। उन्होंने लिखा, “CEC ज्ञानेश कुमार, बहाने देना बंद करो। तुरंत सबूत कर्नाटक CID को सौंपो। NOW.”

यह भाषा और लहज़ा बताता है कि राहुल अब सीधे आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी छोड़कर बीजेपी के इशारे पर काम करना शुरू कर दिया है।

चुनाव आयोग कटघरे में, सत्ता पर जनता का शक गहराया

राहुल गांधी का ट्वीट चुनाव आयोग के लिए किसी राजनीतिक भूकंप से कम नहीं है। आयोग ने जहां खुद को बचाने की कोशिश में बयान दिया था, वहीं राहुल ने सबूतों की पूरी लिस्ट जनता के सामने रख दी। अब सवाल यह है कि CID को जानकारी क्यों नहीं दी जा रही? क्या चुनाव आयोग सच में वोट चोरी का साझेदार बन चुका है? जनता के बीच यह चर्चा तेज़ हो गई है और सत्ता प्रतिष्ठान का चेहरा और भी बेनकाब हो रहा है।

 

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