बेंगलुरु 17 सितम्बर 2025
कर्नाटक के हुबली शहर में मंगलवार को वह हुआ जिसकी कल्पना लोग केवल फिल्मों में करते हैं। दोपहर के वक्त स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की शाखा में अचानक तीन नकाबपोश बदमाशों ने हथियारों के साथ धावा बोला। उनके चेहरे कपड़ों से ढंके हुए थे और आंखों में खौफनाक नीयत साफ झलक रही थी। बैंक के अंदर मौजूद स्टाफ और ग्राहकों को उन्होंने पलभर में काबू में कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बदमाश इतने आत्मविश्वास के साथ अंदर घुसे जैसे उन्हें पहले से हर कोने की जानकारी हो। हथियार लहराकर उन्होंने कर्मचारियों को कुर्सियों से बांध दिया, मोबाइल छीन लिए और किसी को भी बाहर भागने का मौका नहीं दिया।
इसके बाद गिरोह सीधे तिजोरी और कैश सेक्शन की तरफ बढ़ा। बैंक स्टाफ के अनुसार, बदमाशों को पहले से पता था कि किस लॉकर में कितनी नकदी है और कौन-सा दरवाज़ा किस चाबी से खुलेगा। महज़ कुछ ही मिनटों में तिजोरी से करोड़ों की नकदी बैग में भर ली गई। जब तक किसी को कुछ समझ आता, बैंक के भीतर 20 करोड़ रुपए साफ हो चुके थे। वारदात इतनी तेज़ी और प्लानिंग के साथ अंजाम दी गई कि किसी ने पुलिस को फोन करने या बाहर निकलकर मदद मांगने की हिम्मत तक नहीं की।
डकैतों के फरार होते ही बैंक के कर्मचारियों ने जैसे-तैसे खुद को बंधन से आज़ाद किया और पुलिस को खबर दी। कुछ ही देर में पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस की कई टीमें मौके पर पहुँचीं, लेकिन बदमाश तब तक गायब हो चुके थे। शुरुआती जांच में साफ हो गया कि यह एक “प्लांड क्राइम” है। अपराधियों ने बैंक की गतिविधियों, सुरक्षा व्यवस्था और कैश मूवमेंट पर पहले से लंबा रिसर्च किया था। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, लेकिन पुलिस को अभी तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि इस वारदात में बैंक के अंदर से किसी ने मदद की हो, क्योंकि इतनी गहराई से जानकारी बिना अंदरूनी सपोर्ट के संभव नहीं है।
20 करोड़ की इस लूट ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर आम जनता अपने मेहनत की कमाई किस पर सुरक्षित माने? जब बैंक जैसी संस्थाओं में भी पैसा सुरक्षित नहीं रहा, तो सुरक्षा व्यवस्था की गारंटी कहाँ है? विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार और पुलिस को घेरा है, सवाल उठ रहे हैं कि खुफिया तंत्र और पुलिस की गश्त आखिर किस काम की, जब तीन नकाबपोश इतने बड़े ऑपरेशन को इतनी आसानी से अंजाम देकर फरार हो सकते हैं।
आज जनता में गुस्सा और डर दोनों है। गुस्सा इस बात का कि उनके टैक्स और मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने वाले सिस्टम इतने लचर साबित हुए, और डर इस बात का कि कहीं कल कोई और गिरोह फिर से किसी अन्य शाखा को निशाना न बना ले। यह वारदात केवल एक बैंक की लूट नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र पर एक गहरी चोट है। अब पूरा दबाव कर्नाटक पुलिस और राज्य सरकार पर है कि वे इस सनसनीखेज डकैती की गुत्थी सुलझाएं और जनता का भरोसा बहाल करें। फिलहाल लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है—आखिर तीन नकाबपोश थे कौन, और उनके पीछे कितने बड़े हाथ छिपे हैं?