नई दिल्ली 17 सितम्बर
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर जबरदस्त हलचल है। डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिकी प्रशासन ने फिर से टैरिफ का मुद्दा तेज कर दिया है। खासकर स्टील, एल्युमिनियम और कृषि उत्पादों पर भारी टैक्स लगाए जाने की आशंका से भारतीय कारोबारी जगत में चिंता का माहौल है। ऐसे में ट्रेड डील की स्थिति पर सवाल उठने लगे थे।
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने दी सफाई
व्यापारिक हलकों की बेचैनी को देखते हुए भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर स्थिति साफ की। मंत्रालय ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत लगातार जारी है। कई मुद्दों पर प्रगति हुई है और सरकार इस कोशिश में है कि दोनों देशों के लिए संतुलित और लाभकारी समझौता हो।
ट्रंप टैरिफ: भारतीय उद्योग के लिए सिरदर्द
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां पहले भी भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर चुकी हैं। उनके पिछले कार्यकाल में झींगा निर्यात, आईटी सर्विसेज और टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा था। अब फिर से वही खतरा मंडरा रहा है। अगर अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुओं पर ऊंचा टैरिफ लगा, तो करोड़ों का नुकसान होना तय है।
चुनावी सियासत और आर्थिक असर
ट्रंप का टैरिफ कदम केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी माना जा रहा है। अमेरिका में चुनावी सियासत को देखते हुए ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति फिर से हावी हो रही है। लेकिन भारत साफ कर चुका है कि वह एकतरफा दबाव स्वीकार नहीं करेगा। सरकार का दावा है कि भारत के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।
संतुलित सौदे की तलाश
भारत और अमेरिका दोनों के लिए यह डील अहम है। भारत चाहता है कि उसके निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में ज्यादा अवसर मिलें, जबकि अमेरिका कृषि और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ा हिस्सा चाहता है। यही वजह है कि समझौता पेचीदा हो गया है। लेकिन कॉमर्स मिनिस्ट्री ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही समाधान निकल सकता है।