नई दिल्ली, 16 सितंबर 2025
जर्मन पब्लिकेशन Süddeutsche Zeitung और वेनेजुएला की Armando Info की संयुक्त जांच ने अनंत अंबानी की परियोजना वंतारा (Vantara) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 से अब तक वंतारा ने 30 से अधिक देशों से 39,000 से ज्यादा जंगली जानवरों का आयात किया है। इनमें कई प्रजातियां CITES (Convention on International Trade in Endangered Species) के तहत प्रतिबंधित हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ एक व्यवसायिक परियोजना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और संरक्षण कानूनों की खुलेआम अनदेखी है। आरोप यह भी है कि भारत सरकार की कथित ‘कवर्ड प्रोटेक्शन’ ने इस पूरे ऑपरेशन को संरक्षण दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवालों का तूफान खड़ा हो गया है।
CITES नियमों की खुलेआम अनदेखी: संरक्षण का ढोंग
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि वंतारा ने जानबूझकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अनदेखी की। कई विशेषज्ञ इसे व्यवसाय और सत्ता की मिलीभगत से संरक्षण नियमों की धज्जियाँ मान रहे हैं। वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से यह गंभीर मुद्दा है—अगर यह साबित हुआ तो भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बड़ा झटका लगेगा।
संकटग्रस्त जानवरों के लिए वंतारा की भव्य दिखावट
वंतारा भारत का सबसे बड़ा पशु संरक्षण केंद्र है, जो 3,000 एकड़ में फैला हुआ है। यहां 2,000 से अधिक प्रजातियों के 1,50,000 से ज्यादा जानवर रहते हैं। इनमें हाथी, बड़ी बिल्लियाँ, पक्षी, सरीसृप और शाकाहारी जानवर शामिल हैं। केंद्र में हर जानवर के लिए विशेष आवास, गतिविधियों का कार्यक्रम, चौबीसों घंटे चिकित्सकीय देखभाल और प्रजाति-विशेष भोजन दिया जाता है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि इस “संरक्षण” के पीछे कई प्रजातियों का अवैध व्यापार और नियमों की अनदेखी भी छिपी है।
कर्मचारियों की सुरक्षा और सशक्तिकरण: वंतारा का मॉडल
वंतारा में लगभग 3,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। केंद्र ने कर्मचारियों की सुरक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। उन्हें सुरक्षा उपकरण, जानवरों को संभालने का प्रशिक्षण और नियमित स्वास्थ्य जांच दी जाती है।
हालांकि यह पहल दिखावटी लग सकती है, विशेषज्ञ कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय नियमों और CITES प्रतिबंधों की अनदेखी, और सरकारी संरक्षण की छाया में कर्मचारियों की सुरक्षा भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
मोदी का प्रोजेक्ट चीता और वंतारा विवाद: संरक्षण का नाम, लेकिन नियमों का उल्लंघन
यह खुलासा ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री मोदी का ‘प्रोजेक्ट चीता’ पहले से ही विवादों और असफलताओं से घिरा हुआ है। वंतारा की जांच ने इस विवाद में नया मोड़ डाल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह सच साबित हुआ, तो यह केवल अनंत अंबानी की परियोजना का मामला नहीं, बल्कि भारत की संरक्षण नीतियों और अंतरराष्ट्रीय नियमों की गंभीर चुनौती बन जाएगा।
वैश्विक मीडिया और विशेषज्ञों की तीखी प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में #Vantara और #WildlifeTrade ट्रेंड कर रहे हैं। विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं—क्या व्यवसाय और सत्ता का दबाव इतना बढ़ गया कि संरक्षण के नाम पर अंतरराष्ट्रीय नियमों को ताक पर रख दिया गया?
कई वन्यजीव संगठन और पर्यावरणविद इसे संरक्षण के नाम पर धज्जियों की पूरी श्रृंखला मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि वंतारा की भलाई पहल के बावजूद, CITES नियमों की कथित अनदेखी और सरकारी संरक्षण ने इसे विवादित बना दिया है। यह मामला न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को प्रभावित करेगा, बल्कि देश में संरक्षण के वास्तविक दृष्टिकोण पर भी सवाल खड़ा करेगा।
संरक्षण या विवाद का खेल?
वंतारा अनंत अंबानी की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो संकटग्रस्त जानवरों की देखभाल और कर्मचारियों की सुरक्षा पर केंद्रित है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय जांच के आरोप, CITES नियमों की कथित अनदेखी और सरकारी संरक्षण इसे वैश्विक बहस का केंद्र बना दिया है। अब सवाल यह है कि क्या भारत वास्तव में संरक्षण कर रहा है, या संरक्षण के नाम पर व्यवसाय और सत्ता का दबाव दुनिया को दिखाया जा रहा है, जबकि नियमों और कानूनों की धज्जियाँ उड़ रही हैं?