नई दिल्ली 15 सितम्बर 2025
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विश्वास जताया है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री दुनिया में नंबर 1 बन सकती है। इस समय अमेरिका इस सूची में पहले पायदान पर है, चीन दूसरे पर और भारत तीसरे स्थान पर है। गडकरी ने कहा है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भारत के प्रदर्शन और नवाचार को देखते हुए यह बड़ा उलटफेर संभव है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सरकार ऑटो क्षेत्र में बेहतर नीतियां और निवेश को प्रोत्साहित कर रही है ताकि भारत वैश्विक मंच पर अग्रणी बन सके। उनका यह बयान देश की अर्थव्यवस्था और तकनीकी प्रगति में उच्च आत्मविश्वास को दर्शाता है।
ओपिनियन लेख:
भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री: अगले पांच वर्षों में वैश्विक नेतृत्व की ओर
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का यह बयान कि भारत अगले पांच वर्षों में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अमेरिका और चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का नंबर 1 उत्पादक बनेगा, एक साहसिक और प्रेरणादायक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
- भारत की मौजूदा स्थिति और संभावनाएं
वर्तमान में, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक देश है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), हाइड्रोजन-आधारित प्रौद्योगिकियों और स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग में महत्वपूर्ण प्रगति की है। गडकरी के अनुसार, यह नवाचार और सरकार की नीतिगत समर्थन के साथ, भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बन सकता है।
- सरकार की नीतियां और निवेश
सरकार ने ऑटोमोबाइल क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) और इलेक्ट्रिक वाहन नीति। इन नीतियों से उद्योग को आवश्यक समर्थन मिल रहा है, जिससे उत्पादन क्षमता और निर्यात में वृद्धि हो रही है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां
अमेरिका और चीन जैसे देशों के मुकाबले, भारत को तकनीकी नवाचार, गुणवत्ता नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार की दिशा में काम करना होगा। हालांकि, भारत की युवा और कुशल कार्यबल, कम उत्पादन लागत और बढ़ती घरेलू मांग इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक मजबूत दावेदार बनाती है।
नितिन गडकरी का यह विश्वास कि भारत अगले पांच वर्षों में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करेगा, एक सकारात्मक संकेत है। यदि सरकार और उद्योग मिलकर कार्य करें, तो यह लक्ष्य प्राप्त करना संभव है। यह न केवल भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगा।