गाजा 15 सितम्बर 2025
गाज़ा पट्टी एक बार फिर आग और बारूद की चपेट में है। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने हाल के दिनों में हमले तेज़ कर दिए हैं, जिससे हालात और भी बिगड़ गए हैं। शनिवार को हुई ताज़ा बमबारी में कई लोगों की मौत हुई, जबकि संयुक्त राष्ट्र और राहत एजेंसियाँ कह रही हैं कि रोज़ाना हज़ारों लोग अपने घर छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहे हैं। गाज़ा में अब कोई भी इलाका सुरक्षित नहीं बचा है, और लोग अपने बच्चों व बुजुर्गों को बचाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह पलायन कर रहे हैं।
लगातार बढ़ता विस्थापन और भूख का संकट
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के कार्यालय (OCHA) के अनुसार गाज़ा की लगभग 90% आबादी अब तक विस्थापित हो चुकी है। लोग स्कूलों, मस्जिदों और अस्थायी शिविरों में शरण ले रहे हैं, लेकिन इन जगहों पर भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। तम्बुओं की भारी कमी है और राहत एजेंसियाँ साफ कह रही हैं कि उपलब्ध संसाधन जनसंख्या की ज़रूरतों के मुकाबले बेहद कम हैं। रेड क्रॉस के मुताबिक गाज़ा में तम्बू और आश्रय सामग्री पहुँचाई जा रही है, लेकिन “मांग इतनी विशाल है कि आपूर्ति उसके मुकाबले कहीं नहीं टिकती।”
भोजन और पानी की कमी से हालात और बदतर हो गए हैं। लगभग 4.7 लाख लोग भुखमरी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। बच्चों में कुपोषण और बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि चिकित्सा सेवाएँ ढहने के कगार पर हैं, अस्पतालों में बेड की भारी कमी है और डॉक्टर-नर्स लगातार दिन-रात बिना रुके काम कर रहे हैं।
हमलों की भयावहता और मानवीय त्रासदी
गाज़ा सिटी में हाल ही में हुए एक हवाई हमले में 32 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 12 बच्चे भी शामिल थे। एक ही परिवार के 10 सदस्यों की एक झड़ी में मौत ने पूरे गाज़ा को दहला दिया है। खान यूनिस के पास “नासेर मेडिकल कॉम्प्लेक्स” जैसे अस्पताल अब घायल और विस्थापितों से भर चुके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास दवाइयाँ, उपकरण और स्टाफ सबकी भारी कमी है।
गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि 2023 से अब तक लगभग 64,700 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 1,63,800 से अधिक घायल हुए हैं। इनमें अधिकांश नागरिक हैं, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और शांति की अपील
लगातार बढ़ते हमलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता गहराई है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और युद्धविराम की अपील की है। हालाँकि, इजरायल का कहना है कि यह कार्रवाई “सुरक्षा कारणों और हमास के ठिकानों को खत्म करने” के लिए की जा रही है। लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि सबसे बड़ी कीमत आम नागरिक चुका रहे हैं।
आगे का रास्ता
गाज़ा की स्थिति हर दिन और गंभीर होती जा रही है। विस्थापन, भूख, प्यास, मौत और अनिश्चितता की इस त्रासदी में लोग खुद को पूरी तरह असहाय महसूस कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ चेतावनी दे रही हैं कि अगर तुरंत मानवीय हस्तक्षेप और युद्धविराम नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में हालात और भी भयावह हो सकते हैं।