काठमांडू, 14 सितंबर 2025
नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को पदभार संभाल लिया। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मकसद सत्ता का आनंद लेना नहीं बल्कि लोकतांत्रिक संक्रमण को सहज और पारदर्शी बनाना है। उन्होंने कहा कि वह इस पद पर छह महीने से ज्यादा नहीं रुकेंगी।
सत्ता नहीं, जिम्मेदारी का संदेश
कार्की ने अपने संबोधन में कहा,
“मैं यहां सत्ता का स्वाद चखने नहीं आई हूं। मेरी जिम्मेदारी है कि नेपाल को स्थिर और निष्पक्ष चुनावों की ओर ले जाऊं। यह कार्य पूरा होते ही मैं पद छोड़ दूंगी।”
उनके इस बयान ने नेपाल की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है, क्योंकि हाल ही में सत्ता संघर्ष और सरकार गिरने की घटनाओं ने जनता का भरोसा कमजोर किया था।
सीमा विवाद के बीच नई चुनौती
कार्की ऐसे समय में अंतरिम प्रधानमंत्री बनी हैं, जब नेपाल-भारत सीमा पर तनाव और बंद व्यापार मार्गों के कारण जनता परेशान थी। उनके पदभार ग्रहण करते ही काठमांडू सरकार ने घोषणा की कि सीमा को फिर से खोला जाएगा और व्यापार सामान्य स्थिति में लौटेगा।
नेपाल की राजनीति में नया अध्याय
सुशीला कार्की इससे पहले नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं और अपनी सख्त छवि के लिए जानी जाती हैं। उनके अंतरिम प्रधानमंत्री बनने से जनता में यह उम्मीद जगी है कि राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक रोक लगेगी।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने कार्की की नियुक्ति का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि छह महीने की अवधि में उनके सामने चुनौतियां आसान नहीं होंगी। वहीं, जनता का कहना है कि अगर कार्की ईमानदारी से काम करती हैं तो नेपाल एक नए भविष्य की ओर बढ़ सकता है।
नेपाल की राजनीति में सुशीला कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री बनना ऐतिहासिक है। उनके शब्द – “मैं सत्ता का स्वाद चखने नहीं आई हूं” – इस बात का संकेत हैं कि आने वाले महीनों में उनका फोकस सत्ता पर नहीं बल्कि स्थिरता और चुनाव की तैयारी पर होगा।