वॉशिंगटन, 14 सितंबर 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार और टैरिफ को लेकर बयानबाजी से हलचल मचा दी है। ट्रंप ने इस बार भारत को नहीं, बल्कि रूस और चीन को अपना ‘मुख्य दुश्मन’ करार दिया है। उनका कहना है कि दोनों देश अमेरिका के आर्थिक हितों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं और अब उन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
भारत को मिली ‘राहत’
ट्रंप ने अपने हालिया बयान में साफ किया कि भारत के साथ अमेरिका का व्यापार संतुलन “बेहतर दिशा” में जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत पर टैरिफ दबाव कम करने का कारण यह है कि वहां अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार खुल रहा है और निवेश बढ़ रहा है। इस तरह भारत, ट्रंप के निशाने से बाहर निकल आया है।
रूस और चीन पर सीधा हमला
ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि “चीन और रूस हमारी इंडस्ट्री और नौकरियों को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं। अब वक्त आ गया है कि अमेरिका उनके खिलाफ बड़े टैरिफ हथियार का इस्तेमाल करे।” उन्होंने चीन पर अनुचित व्यापार प्रथाओं और रूस पर ऊर्जा बाज़ार में दखल देने का आरोप लगाया।
अमेरिकी राजनीति में हलचल
ट्रंप के इस बयान ने अमेरिकी राजनीति में बहस छेड़ दी है। जहां रिपब्लिकन खेमे के नेता इसे “अमेरिकी हितों की रक्षा की ठोस रणनीति” बता रहे हैं, वहीं डेमोक्रेट्स का कहना है कि ट्रंप की बयानबाजी केवल चुनावी राजनीति है और इससे वैश्विक तनाव बढ़ेगा।
वैश्विक स्तर पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप का दबाव बढ़ा तो अमेरिका-चीन के बीच नई ट्रेड वॉर शुरू हो सकती है। वहीं रूस पर सख्त टैरिफ लगाने से ऊर्जा बाज़ार में हलचल मचना तय है। इसका असर एशिया और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ सकता है।
भारत के लिए यह फिलहाल राहत की खबर है कि वह ट्रंप की ‘टैरिफ हिट लिस्ट’ से बाहर हो गया है। लेकिन रूस और चीन पर ट्रंप की आक्रामकता ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार और कूटनीति में अनिश्चितता बढ़ा दी है।