प्रयागराज, 14 सितंबर 2025
उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि किसी भी सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए बी.एड (Bachelor of Education) डिग्री अनिवार्य होगी। इसके साथ ही अदालत ने उन उम्मीदवारों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी है, जिनके पास बी.एड की डिग्री नहीं है।
बी.एड की अहमियत पर जोर
हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता। बी.एड सिर्फ एक औपचारिक डिग्री नहीं है, बल्कि यह उम्मीदवारों को पढ़ाने की सही पद्धति, बच्चों की मनोविज्ञान को समझने और क्लासरूम मैनेजमेंट जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की ट्रेनिंग देती है। ऐसे में बिना बी.एड डिग्री के किसी को शिक्षक पद पर नियुक्त करना शिक्षा व्यवस्था के साथ न्याय नहीं होगा।
कंप्यूटर टीचर भर्ती पर भी लागू नियम
यह आदेश खासतौर से उन अभ्यर्थियों के लिए झटका है, जो कंप्यूटर शिक्षक के पद के लिए केवल कंप्यूटर डिग्री या डिप्लोमा लेकर आवेदन कर रहे थे। कोर्ट ने साफ कहा कि चाहे गणित, हिंदी, अंग्रेजी या फिर कंप्यूटर—सभी विषयों के शिक्षकों के लिए बी.एड अनिवार्य रहेगा।
उम्मीदवारों में निराशा, पर शिक्षा के स्तर पर राहत
कोर्ट के इस फैसले से हजारों ऐसे उम्मीदवार प्रभावित होंगे जो बी.एड नहीं किए हुए हैं और भर्ती प्रक्रिया में शामिल थे। वहीं, शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय लंबे समय में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाएगा और छात्रों को योग्य शिक्षक मिलेंगे।
सरकार को नीति स्पष्ट करने के निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं में स्पष्ट नियम जारी करे, ताकि अभ्यर्थियों को समय रहते जानकारी मिल सके। साथ ही सरकार से कहा गया है कि जो अभ्यर्थी बी.एड करना चाहते हैं, उनके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और सीटें उपलब्ध कराई जाएं। यह फैसला न सिर्फ वर्तमान भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करेगा बल्कि आने वाले वर्षों में टीचर भर्ती के नियमों को भी और सख्त और पारदर्शी बना सकता है।