नई दिल्ली 13 सितंबर 2025
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन पर भारत ने अपना समर्थन जताया है। इस प्रस्ताव का मकसद गाज़ा में युद्धविराम, मानवीय सहायता और स्थायी शांति की राह तलाशना है। भारत का यह रुख ऐसे समय में सामने आया है जब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष लगातार गहराता जा रहा है और पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ रही है।
भारत ने इस प्रस्ताव को शांति और मानवीय दृष्टिकोण से सही ठहराया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारत का मानना है कि लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद का हल केवल बातचीत और दो-राष्ट्र समाधान के जरिए ही संभव है। भारत ने साफ किया कि हिंसा किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और आम नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।
इस कदम को लेकर कूटनीतिक हलकों में अलग-अलग व्याख्याएं सामने आई हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का समर्थन फिलिस्तीन के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि प्रस्ताव में गाज़ा में मानवीय संकट को प्रमुखता दी गई है। वहीं, दूसरी ओर भारत इजरायल के साथ अपने गहरे रणनीतिक और रक्षा सहयोग को भी बनाए हुए है। ऐसे में भारत का संतुलित रुख यह दर्शाता है कि वह दोनों पक्षों से अपने संबंधों को संतुलित रखते हुए वैश्विक मंच पर शांति की वकालत करना चाहता है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भारत की विदेश नीति हमेशा से ही “गुटनिरपेक्ष” और “संवाद आधारित समाधान” की पैरवी करती रही है। न्यूयॉर्क डिक्लेरेशन के समर्थन के जरिए भारत ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में मानवीय मूल्यों और स्थायी शांति की दिशा में सक्रिय योगदान देना चाहता है।
कुल मिलाकर, भारत का यह कदम फिलिस्तीन को नैतिक सहारा देता दिखता है, लेकिन साथ ही यह इजरायल के साथ उसके रिश्तों में किसी तरह की खटास नहीं लाता। इसे भारत की “संतुलनकारी कूटनीति” का हिस्सा माना जा रहा है, जो उसे पश्चिम एशिया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक जिम्मेदार और विश्वसनीय साझेदार बनाती है।