नई दिल्ली 8 सितम्बर 2025
उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक दिन पहले राजनीतिक समीकरणों में अचानक बड़ा मोड़ आ गया है। बीजेडी (BJD) और बीआरएस (BRS) ने ऐलान किया है कि वे इस चुनाव में मतदान से दूर रहेंगे। इस फैसले ने न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।
बीजेडी और बीआरएस का फैसला क्यों अहम?
बीजेडी और बीआरएस, दोनों ही पार्टियां राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाती हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में इनके वोटिंग से दूर रहने का सीधा असर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों की रणनीतियों पर पड़ेगा। जहां एनडीए को समर्थन की उम्मीद थी, वहीं विपक्ष भी इन दलों से दूरी की भरपाई करने के लिए मजबूर होगा।
सियासी गणित पर असर
चुनाव से पहले ही यह फैसला एनडीए और इंडिया गठबंधन के वोट बैंकों की मजबूती और कमजोरी को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। माना जा रहा है कि अगर दोनों दल मतदान करते, तो नतीजों पर फर्क पड़ सकता था। अब विपक्ष को यह मुद्दा हाथ लग गया है कि क्यों क्षेत्रीय पार्टियां केंद्र की राजनीति से दूरी बना रही हैं।
विपक्ष के तेवर और सत्तारूढ़ दल की मुश्किल
राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता पहले ही चुनाव आयोग और सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। ऐसे में बीजेडी और बीआरएस का abstain करना विपक्ष को और अधिक राजनीतिक हथियार देगा। वहीं एनडीए को अपने समर्थन आधार पर फिर से मंथन करना पड़ेगा।
कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले आया यह ऐलान एक बड़े राजनीतिक मोड़ की तरफ इशारा करता है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि वोटिंग के दिन समीकरण किसके पक्ष में बैठते हैं।