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पूर्व चुनाव आयुक्तों का प्रहार: CEC ज्ञानेश पर निशाना, राहुल के सवालों का समर्थन

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नई दिल्ली, 9 सितंबर 2025

भारत के तीन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों—एस.वाई. कुरैशी, ओ.पी. रावत और अशोक लवासा—ने एक स्वर में मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों को उचित ठहराया और कहा कि चुनाव आयोग को इन सवालों की गंभीरता से जांच कर जनता के सामने तथ्य रखने चाहिए।

पूर्व चुनाव आयुक्तों ने कोयंबटूर में आयोजित इंडिया टुडे साउथ कॉन्क्लेव के मंच पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, जो विपक्ष के नेता हैं, लाखों लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे, विशेष रूप से बिहार और अन्य राज्यों में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों और ‘वोट चोरी’ के आरोप, गंभीर हैं और इनकी पारदर्शी जांच होनी चाहिए।

राहुल गांधी के सवाल और ज्ञानेश कुमार की प्रतिक्रिया राहुल गांधी ने हाल ही में बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से पहले मतदाता सूची में अनियमितताओं और ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पास इसके पुख्ता सबूत हैं और चुनाव आयोग इस धांधली में शामिल है। इसके जवाब में, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के आरोपों को ‘बेबुनियाद’ करार देते हुए कहा था कि या तो वे हलफनामा देकर सबूत पेश करें या देश से माफी मांगें।

ज्ञानेश कुमार ने कहा था, “चुनाव आयोग 75 सालों से पूरी कर्मठता के साथ काम कर रहा है। अगर कोई मतदाता सूची पर निराधार आरोप लगाता है, तो उसे सबूत देना होगा। सात दिन में हलफनामा नहीं मिला तो आरोपों को निराधार माना जाएगा।”

पूर्व आयुक्तों की आपत्ति तीन पूर्व चुनाव आयुक्तों ने ज्ञानेश कुमार की इस तीखी प्रतिक्रिया को ‘गैरजरूरी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का काम आरोपों को खारिज करने के बजाय उनकी निष्पक्ष जांच करना है। एस.वाई. कुरैशी ने कहा, “चुनाव आयोग के सुपरविजन में मतदाता सूची तैयार होती है और लाखों लोग इसके लिए काम करते हैं। अगर कोई सवाल उठता है, तो आयोग को डेटा की जांच कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।”

ओ.पी. रावत और अशोक लवासा ने भी इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी के आरोपों के पीछे देश के लाखों मतदाताओं की चिंताएं हैं। उन्होंने कहा कि आयोग को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही दिखानी होगी।

कांग्रेस का पक्ष कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “राहुल गांधी ने जो सवाल उठाए, वे आयोग के अपने आंकड़ों पर आधारित हैं। ज्ञानेश कुमार ने इनका कोई सार्थक जवाब नहीं दिया। आयोग का यह दावा कि वह सत्ता पक्ष और विपक्ष में भेदभाव नहीं करता, मजाक जैसा है।” कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी ज्ञानेश कुमार पर बीजेपी प्रवक्ता की तरह बोलने का आरोप लगाया था।

चुनाव आयोग पर बढ़ता दबाव राहुल गांधी ने 7 अगस्त 2025 को इंडिया ब्लॉक के नेताओं के साथ एक बैठक में ‘इलेक्टोरल फ्रॉड’ पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दी थी, जिसमें उन्होंने बिहार के महादेवपुरा समेत कई क्षेत्रों में मतदाता सूची में गड़बड़ियों के सबूत पेश किए थे। इस बैठक में शरद पवार, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव जैसे प्रमुख विपक्षी नेता शामिल थे। इसके बाद 11 अगस्त को विपक्ष ने चुनाव आयोग तक मार्च निकालने का फैसला किया था।

हालांकि, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के कुछ दावों को खारिज करते हुए कहा कि लखनऊ और वाराणसी की मतदाता सूची में उनके द्वारा बताए गए कुछ मतदाताओं के नाम दर्ज नहीं मिले। लेकिन पूर्व आयुक्तों का कहना है कि इस तरह के जवाबों से सवाल खत्म नहीं होते, बल्कि और गहराते हैं।

ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर भी सवाल ज्ञानेश कुमार की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति भी विवादों में रही है। 17 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राहुल गांधी की तीन सदस्यीय समिति ने 2:1 के बहुमत से उनकी नियुक्ति की थी। राहुल गांधी ने इस पर असहमति जताते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में नई नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं का फैसला आने तक इसे टालना चाहिए।

कांग्रेस ने इस नियुक्ति को संविधान की भावना के खिलाफ बताया और आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बचा जा सके।

आगे क्या? पूर्व चुनाव आयुक्तों की इस टिप्पणी ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर चल रही बहस को और तेज कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग को अपनी पारदर्शिता और निष्पक्षता साबित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। राहुल गांधी और इंडिया ब्लॉक के नेता इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं, जिससे आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।

 

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