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उपराष्ट्रपति चुनाव 2025: NDA और INDIA गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर, कौन जीतेगा बाजी?

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नई दिल्ली 8 सितम्बर 2025

9 सितंबर 2025 को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर उत्साह और उत्सुकता चरम पर है। यह चुनाव मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद हो रहा है, जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 21 जुलाई 2025 को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुधर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। यह पहली बार है जब उपराष्ट्रपति पद के लिए दोनों प्रमुख उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं—राधाकृष्णन तमिलनाडु से और रेड्डी तेलंगाना से। इस लेख में हम इस चुनाव में विभिन्न राज्यों में समर्थन, मतों की स्थिति और गठबंधनों की रणनीति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेंगे।

उपराष्ट्रपति चुनाव की पृष्ठभूमि और महत्व

भारत का उपराष्ट्रपति चुनाव संवैधानिक रूप से देश के दूसरे सबसे बड़े पद के लिए आयोजित किया जा रहा है। यह चुनाव इसलिए विशेष है क्योंकि यह जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के बीच में इस्तीफे के कारण समय से पहले हो रहा है। धनखड़, जिन्होंने 2022 में 528 मतों (74.37%) के साथ भारी जीत हासिल की थी, ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया, जिससे यह तीसरा मौका बन गया जब कोई उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल के बीच में पद छोड़ रहा है। इससे पहले वराहगिरी वेंकट गिरी और रामास्वामी वेंकटरमण ने भी मध्यावधि में इस्तीफा दिया था। इस चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही मतदान करेंगे, और इसमें राज्यों की विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं है, जैसा कि राष्ट्रपति चुनाव में होता है। कुल 788 सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल में से 782 सदस्य मतदान करने के पात्र हैं, और जीत के लिए कम से कम 394 मतों की आवश्यकता है।

उम्मीदवारों का परिचय: राधाकृष्णन बनाम रेड्डी

एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के एक अनुभवी राजनेता हैं, जिन्होंने 1998 और 1999 में कोयंबटूर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। वह महाराष्ट्र, झारखंड और तेलंगाना के राज्यपाल रह चुके हैं। उनकी उम्मीदवारी को बीजेपी की दक्षिण भारत में पैठ बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन ने बी सुधर्शन रेड्डी को चुना है, जो 2007 से 2011 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। रेड्डी 2005 से 2007 तक गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और मार्च 2013 में गोवा के पहले लोकायुक्त थे। दोनों उम्मीदवारों का दक्षिण भारतीय मूल इस चुनाव को एक अनूठा रंग देता है, क्योंकि यह पहली बार है जब उपराष्ट्रपति पद के लिए दोनों प्रमुख दावेदार दक्षिण भारत से हैं।

विभिन्न राज्यों में समर्थन और मतों का गणित

उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को संख्यात्मक बढ़त प्राप्त है। एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 133, कुल 426 सांसदों का समर्थन है, जो जीत के लिए आवश्यक 394 मतों से काफी अधिक है। विशेष रूप से, आंध्र प्रदेश के सभी 36 सांसद—सत्तारूढ़ गठबंधन और मुख्य विपक्षी दल वाईएसआरसीपी दोनों—राधाकृष्णन का समर्थन कर रहे हैं। इससे एनडीए की स्थिति और मजबूत हो जाती है। हालांकि, इंडिया गठबंधन को हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का समर्थन प्राप्त है, क्योंकि ओवैसी ने रेड्डी को “हैदराबादी साथी” बताते हुए समर्थन की घोषणा की है। इसके अलावा, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजद) के 7 सांसदों और के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 4 सांसदों ने अभी तक अपने समर्थन का खुलासा नहीं किया है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम), और मेघालय की वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी जैसे अन्य दलों ने भी अपने रुख को स्पष्ट नहीं किया है।

रणनीतिक और राजनीतिक गतिशीलता

एनडीए ने राधाकृष्णन को चुनकर तमिलनाडु में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, जिससे इंडिया गठबंधन की सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को असमंजस में डाल दिया गया है। जवाब में, इंडिया गठबंधन ने रेड्डी को चुनकर आंध्र प्रदेश में एनडीए की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को मुश्किल में डालने की कोशिश की है। टीडीपी ने पहले ही राधाकृष्णन के समर्थन की घोषणा कर दी है, लेकिन रेड्डी के आंध्र मूल के कारण स्थानीय स्तर पर टीडीपी पर दबाव बन सकता है। इंडिया गठबंधन इस चुनाव को एक वैचारिक लड़ाई के रूप में पेश कर रहा है, जिसमें वह बीजेपी पर चुनाव आयोग जैसे संस्थानों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है। हालांकि, एनडीए की संख्यात्मक बढ़त के कारण राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है, जब तक कि एनडीए के कुछ सांसद विद्रोह न करें।

चुनाव प्रक्रिया और समयसीमा

उपराष्ट्रपति चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (सिंगल ट्रांसफरेबल वोट) के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होता है, जिसमें मतदान गुप्त रहता है। मतदाता उम्मीदवारों को प्राथमिकता के क्रम में चिह्नित करते हैं। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को इस चुनाव की घोषणा की थी, जिसमें नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त, नामांकन की जांच 22 अगस्त, और नाम वापसी की अंतिम तिथि 25 अगस्त थी। मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संसद भवन के रूम नंबर F-101, वसुधा में होगा, और उसी शाम मतगणना के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे। राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी इस चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किए गए हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ और भविष्य की संभावनाएं

पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों में एनडीए ने हमेशा मजबूत प्रदर्शन किया है। 2022 में जगदीप धनखड़ ने 346 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। 1992 में केआर नारायणन ने 700 में से 701 वैध मतों के साथ लगभग सर्वसम्मति से जीत हासिल की थी, जो एक रिकॉर्ड है। इस बार, एनडीए की संख्यात्मक बढ़त और रणनीतिक उम्मीदवार चयन के कारण राधाकृष्णन की जीत की संभावना प्रबल है। हालांकि, इंडिया गठबंधन इस चुनाव को एकजुटता दिखाने और बीजेपी को बिना किसी चुनौती के जीतने से रोकने के अवसर के रूप में देख रहा है। यह चुनाव न केवल उपराष्ट्रपति पद के लिए है, बल्कि यह दोनों गठबंधनों के बीच राजनीतिक ताकत और क्षेत्रीय प्रभाव का भी प्रदर्शन है।

भारत का उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 एक रोमांचक और रणनीतिक मुकाबला बन गया है। एनडीए की संख्यात्मक बढ़त और राधाकृष्णन की उम्मीदवारी उन्हें जीत का प्रबल दावेदार बनाती है, लेकिन इंडिया गठबंधन की रेड्डी के जरिए क्षेत्रीय और वैचारिक रणनीति ने इस दौड़ को रोचक बना दिया है। 9 सितंबर को होने वाला मतदान और परिणाम न केवल अगले उपराष्ट्रपति का चयन करेंगे, बल्कि भारतीय राजनीति में गठबंधनों की ताकत और क्षेत्रीय गतिशीलता को भी उजागर करेंगे।

 

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