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बिहार चुनाव में महागठबंधन का बढ़ता कुनबा, JMM और RLJP की एंट्री से विपक्ष को नई ऊर्जा

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बिहार चुनावी महासमर में इस बार महागठबंधन ने अपना दायरा और बड़ा कर लिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLJP) जैसे सहयोगियों की एंट्री से महागठबंधन का दायरा न केवल व्यापक हुआ है बल्कि उसकी राजनीतिक ताकत में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। जहां एक तरफ सत्तारूढ़ एनडीए पहले से तय फार्मूले में ही जकड़ा दिखाई दे रहा है, वहीं विपक्षी खेमे ने अपने दरवाज़े और दिल दोनों खोल दिए हैं। यह संकेत है कि बिहार में बदलाव का स्वर और मजबूत हो रहा है।

महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, वास्तव में यह लोकतंत्र की ताकत का हिस्सा है। जब गठबंधन में कई दल शामिल होते हैं तो स्वाभाविक है कि सभी अपनी-अपनी हिस्सेदारी की मांग रखें। लेकिन यह असहमति नहीं बल्कि विविधता का सम्मान और संवाद की परंपरा है। महागठबंधन की यही खूबी है कि हर पार्टी अपनी बात खुलकर रख सकती है और अंतिम फैसला सामूहिक सहमति से होता है। यह बात भाजपा-एनडीए से अलग है, जहां अक्सर छोटे दलों को दबाकर रखा जाता है और उनकी राजनीतिक पहचान सीमित कर दी जाती है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की एंट्री ने महागठबंधन को खासकर सीमावर्ती इलाकों में नई ताकत दी है। झारखंड और बिहार की सांस्कृतिक निकटता और जनसांख्यिकी समानता का लाभ निश्चित रूप से विपक्षी गठबंधन को मिलेगा। वहीं, राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLJP) जैसे दल का जुड़ना दलित, पिछड़े और वंचित वर्गों में महागठबंधन की पकड़ को और मजबूत करेगा। इन तबकों का समर्थन ही किसी भी चुनाव में निर्णायक साबित होता है और महागठबंधन इस लिहाज़ से पहले से कहीं अधिक मजबूत स्थिति में पहुंच गया है।

महागठबंधन के नेताओं का मानना है कि सीट बंटवारे का सवाल मीडिया में जितना बड़ा दिखाया जा रहा है, उतना ज़मीनी हकीकत में नहीं है। सभी दलों के बीच आपसी बातचीत लगातार जारी है और बहुत जल्द सीटों का बंटवारा पूरी पारदर्शिता और सहमति से हो जाएगा। यही वजह है कि गठबंधन के नेता आत्मविश्वास से कह रहे हैं कि “यह चुनाव केवल सीटों का नहीं, बल्कि विचारधारा का है।” महागठबंधन का साझा एजेंडा बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जनता की मूलभूत ज़रूरतों पर केंद्रित है।

इस बीच भाजपा और एनडीए को विपक्षी गठबंधन के इस विस्तार से चिंता सताने लगी है। भाजपा चाहती थी कि विपक्ष में बिखराव का माहौल बने, लेकिन JMM और RLJP की एंट्री ने यह संदेश दिया है कि अब बदलाव की ताकत एकजुट हो रही है। एनडीए की अंदरूनी खींचतान और जनता में उनकी नीतियों से पैदा हुई नाराज़गी के बीच महागठबंधन का बढ़ता कुनबा जनता को विकल्प ही नहीं, बल्कि उम्मीद भी दे रहा है।

बिहार की जनता इस बार बदलाव चाहती है। किसान, युवा, मजदूर, छात्र और महिलाएं अब ऐसी सरकार की तलाश में हैं जो उनके मुद्दों पर काम करे। महागठबंधन का वादा यही है कि सत्ता में आने पर न केवल लोकतंत्र को बचाया जाएगा बल्कि विकास का लाभ आख़िरी व्यक्ति तक पहुँचाया जाएगा। JMM और RLJP जैसे दलों का शामिल होना इस वादे को और मजबूत करता है। यह सिर्फ़ गठबंधन नहीं बल्कि बिहार की आवाज़ है, जो एक नए भविष्य की ओर इशारा कर रही है।

 

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