नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित ‘संसद कार्यशाला’ (Sansad Karyashala) में शिरकत की। इस अवसर पर देशभर से आए भाजपा सांसदों और वरिष्ठ नेताओं ने विविध मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम को पार्टी के लोकतांत्रिक विमर्श की परंपरा का प्रतीक बताते हुए कहा कि ऐसे मंच न केवल सीखने और अनुभव साझा करने का अवसर देते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि जनता की सेवा को और बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी पार्टी में ‘संसद कार्यशाला’ जैसे मंच बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह आपसी संवाद और विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करते हैं। यहां हम एक-दूसरे से सीखते हैं और यह तय करते हैं कि जनता की सेवा और राष्ट्र निर्माण को और अधिक प्रभावी तरीके से कैसे आगे बढ़ाया जाए।”
कार्यशाला के दौरान सांसदों ने जमीनी स्तर पर मिले अनुभवों को साझा किया और जनसेवा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रधानमंत्री और वरिष्ठ नेतृत्व से मार्गदर्शन प्राप्त किया। पीएम मोदी ने सांसदों को जनसंपर्क, सेवा कार्यों और नीति-निर्माण को जोड़कर काम करने की प्रेरणा दी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस कार्यशाला का उद्देश्य सांसदों को केवल संसदीय कार्यप्रणाली से अवगत कराना ही नहीं, बल्कि उन्हें जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनाने पर भी केंद्रित रहा। इस अवसर पर वरिष्ठ नेताओं ने भी विचार रखे और नए भारत के विज़न को साकार करने में सांसदों की भूमिका पर चर्चा की।
‘संसद कार्यशाला’ भाजपा के लिए एक नवाचार और संवाद का मंच साबित हुआ है, जो न केवल सांसदों को आपस में जोड़ता है बल्कि उन्हें जनता की सेवा के मिशन से और गहराई से जोड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश साफ था—“जनता की सेवा ही सर्वोपरि है और हर सांसद को इसे अपने कार्य का मूल मंत्र बनाना चाहिए।”