मुख्य बातें
- जमीयत ने संवाद पर प्रस्ताव पारित किया।
- मदनी बोले: संवाद से मतभेद कम होंगे।
- RSS प्रमुख मोहन भागवत की पहल की तारीफ़।
- काशी, मथुरा और ग़्यानवापी जैसे मुद्दों पर वार्ता संभव।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि उनकी संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की उस पहल का स्वागत करती है, जिसमें समुदायों के बीच संवाद को ज़रूरी बताया गया है।
मदनी ने कहा कि उनकी संस्था पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच बातचीत ज़रूरी है। उन्होंने कहा, “मतभेद हों तो भी उन्हें कम करना चाहिए। संवाद ही समाधान का रास्ता है। हम हर तरह की बातचीत का समर्थन करेंगे। हाल ही में आरएसएस प्रमुख की ओर से मुस्लिम समुदाय के साथ संवाद बढ़ाने की जो पहल की गई है, वह सराहनीय और स्वागत योग्य है।”
उन्होंने ग़ौर दिलाया कि राम मंदिर आंदोलन को संघ ने आधिकारिक समर्थन दिया था, जबकि काशी और मथुरा के मुद्दों पर संघ के कार्यकर्ताओं को केवल वकालत की अनुमति दी गई। मदनी ने यह भी कहा कि इस्लाम भारत की ज़मीन से गहराई से जुड़ा है और यहां उसकी मौजूदगी हमेशा से रही है।