पणजी 5 सितम्बर 2025
त्रासदी जिसने झकझोरा
गोवा के प्रतिष्ठित संस्थान BITS पिलानी में फिर एक छात्र की मौत ने पूरे शिक्षा जगत को हिला कर रख दिया है। 19 वर्षीय MSc (Physics) के छात्र ऋषि नायर अपने होस्टल के कमरे में मृत पाए गए। यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि पिछले दस महीनों में पाँचवीं छात्र मृत्यु है। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने न सिर्फ परिवारों को अपूरणीय क्षति दी है, बल्कि देश के युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा संस्थानों की संवेदनशीलता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण और प्रारंभिक जांच
पुलिस के अनुसार, ऋषि गुरुवार सुबह अपने कमरे में बेहोशी की हालत में पाए गए, जब उन्होंने फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया। कमरे का दरवाज़ा तोड़ा गया तो अंदर उनका शव पड़ा मिला। मौके पर उल्टी के निशान थे और उनके पास एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के इस्तेमाल की जानकारी सामने आई है। प्रारंभिक आशंका है कि या तो उन्होंने आत्महत्या की, या फिर अधिक मात्रा में दवा सेवन घातक साबित हुआ। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्पष्ट कारण सामने आएगा, लेकिन घटनास्थल की स्थिति ने परिसर में सनसनी फैला दी है।
मानसिक स्वास्थ्य और संस्थागत जिम्मेदारी
यह जानकारी भी सामने आई है कि ऋषि अपने साथी की आत्महत्या से गहरे मानसिक आघात में थे। इसी वजह से उन्हें Hyderabad से Goa कैंपस में ट्रांसफर किया गया था और माता-पिता भी उनके साथ गोवा में रहने लगे थे। इसके बावजूद, संस्थान छात्रों की मानसिक स्थिति को संभालने और उन्हें पर्याप्त काउंसलिंग व सहयोग देने में नाकाम दिखता है। बार-बार हो रही आत्महत्याएं यह सवाल खड़ा कर रही हैं कि क्या BITS जैसे नामी संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लिया जा रहा है या नहीं।
मौतों की श्रृंखला और गहराता संकट
दिसंबर 2024 से अब तक पांच छात्रों की मौत BITS गोवा परिसर में हो चुकी है। ओमPriyan सिंह, अथर्व देसाई, कृष्णा कसेरा, कुशाग्र जैन और अब ऋषि नायर—ये नाम केवल आंकड़े नहीं, बल्कि अधूरे सपनों और टूटते परिवारों की करुण कहानियां हैं। इतने कम समय में लगातार छात्रों की जान जाना किसी साधारण संयोग की तरह नहीं देखा जा सकता। यह एक गहरी संस्थागत और मनोवैज्ञानिक समस्या का संकेत है, जिस पर गंभीर हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
घटना के बाद संस्थान ने कहा कि वे छात्र के इलाज में सहयोग कर रहे थे और पुलिस की जांच में पूरा सहयोग देंगे। लेकिन केवल बयान और औपचारिकता काफी नहीं है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मामले का संज्ञान लेते हुए ज़िले के कलेक्टर की अध्यक्षता में एक विशेष जांच समिति गठित की है। विपक्षी दलों ने इसे एक “घातक पैटर्न” बताते हुए सुरक्षा, काउंसलिंग और छात्र कल्याण सेवाओं में भारी लापरवाही का आरोप लगाया है। अब यह जांच ही तय करेगी कि क्या संस्थान ने अपनी जिम्मेदारी निभाई या लापरवाही की कीमत छात्रों ने अपनी जान देकर चुकाई।
शिक्षा जगत के लिए चेतावनी
यह घटनाएं केवल BITS गोवा की समस्या नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के शिक्षा तंत्र के लिए चेतावनी हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों पर शैक्षणिक दबाव, प्रतिस्पर्धा, अकेलापन और मानसिक थकान तेजी से बढ़ रही है। परंतु मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सुरक्षित माहौल की भारी कमी है। सवाल यह है कि जब तक संस्थान छात्र जीवन को केवल “अकादमिक उपलब्धि” के चश्मे से देखते रहेंगे, तब तक क्या हम और युवा जिंदगियां खोते रहेंगे?
सवाल जो जवाब मांगते हैं
ऋषि नायर की मौत सिर्फ एक होनहार छात्र के जीवन का अंत नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा जगत के लिए चेतावनी है। यह समय है कि संस्थान और सरकार दोनों मिलकर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दें, काउंसलिंग व्यवस्था को मजबूत करें और छात्रों के जीवन को शिक्षा की होड़ से ऊपर मानें। अन्यथा, यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है और हर मौत एक और परिवार की जिंदगी तबाह करती जाएगी।