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दूध में पाउडर मिलाना: स्वाद, पोषण या मार्केटिंग जाल?

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लेखक : निपुणिका शाहिद, असिस्टेंट प्रोफेसर, मीडिया स्ट्डीज, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, दिल्ली NCR  | नई दिल्ली 4 सितम्बर 2025

परिचय: दूध और पाउडर का चलन

आजकल अधिकांश घरों में दूध पीते समय उसमें कंप्लान, बूस्ट, हॉर्लिक्स, ओरोस, चॉकलेट या स्ट्रॉबेरी पाउडर मिलाए जाते हैं। विज्ञापन के अनुसार यह बच्चों और वयस्कों की शक्ति, हाइट, ऊर्जा और मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाता है। टीवी और सोशल मीडिया पर हर ओर यह संदेश है कि यह पोषण का सुपरचार्जर है।

लेकिन कई पोषण विशेषज्ञ और डॉक्टर्स मानते हैं कि यह केवल मार्केटिंग रणनीति है और वास्तविकता उतनी चमकदार नहीं। अगर बच्चा सामान्य रूप से दूध पीता है और उसका विकास सही है, तो अतिरिक्त पाउडर की आवश्यकता नहीं होती।

दूध: प्राकृतिक पोषण का स्रोत

दूध अपने आप में संपूर्ण पोषण प्रदान करता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन D, विटामिन B12, फॉस्फोरस और अन्य आवश्यक मिनरल्स मौजूद होते हैं। यह हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है।

संतुलित आहार और दूध पीने से बच्चों और वयस्कों की ऊर्जा और शक्ति बनी रहती है। दूध में पाउडर मिलाने का मुख्य उद्देश्य वास्तव में स्वाद और आकर्षण बढ़ाना होता है, न कि पोषण में चमत्कारिक वृद्धि। अधिकांश पाउडर में चीनी, फ्लेवर और रंग मिलाए जाते हैं, जो स्वाद को बेहतर बनाते हैं और बच्चों को आकर्षित करते हैं।

मार्केटिंग और विज्ञापन का प्रभाव

विज्ञापन कंपनियों की रणनीति स्पष्ट है: उन्हें दिखाना है कि आपके बच्चे सुपरहिरो की तरह मजबूत और ऊर्जावान हैं क्योंकि उन्होंने यह पाउडर मिला दूध पिया। टीवी और सोशल मीडिया में मजबूत और खुशहाल बच्चे दिखाए जाते हैं, जो माता-पिता को प्रभावित करते हैं।

वास्तविकता यह है कि बच्चों की ताकत, ऊर्जा और मस्तिष्क की क्षमता संतुलित आहार और दूध से आती है। पाउडर केवल स्वाद बढ़ाता है, जिससे बच्चे उसे पसंद करते हैं और माता-पिता सोचते हैं कि यह पोषण का सुपरचार्जर है।

पाउडर का पोषण तथ्य

पाउडर उत्पादों में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन होने का दावा किया जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकांश पाउडर में पोषण की मात्रा कम या औसत स्तर की होती है, और अधिकतर पोषण की जगह चीनी और फ्लेवर होते हैं।

डॉक्टर्स का कहना है कि अगर बच्चा सामान्य विकास और वजन पर है, तो पाउडर का कोई विशेष फायदा नहीं। केवल उन बच्चों या वयस्कों में यह उपयोगी हो सकता है जिनके भोजन में पोषण की कमी हो या जिनका वजन कम है।

 स्वाद और बच्चों का मनोविज्ञान

बच्चे स्वाद और रंग-बिरंगे पैकेज के कारण पाउडर को पीते हैं। चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी और वनीला फ्लेवर उन्हें आकर्षित करते हैं। इसका असर यह होता है कि माता-पिता समझते हैं कि बच्चा पोषण ले रहा है।

सच्चाई यह है कि बच्चों के विकास और ऊर्जा पर असली असर दूध और संतुलित भोजन का है। पाउडर केवल स्वाद और आकर्षण बढ़ाता है।

जब पाउडर उपयोगी हो सकता है

  1. कुछ परिस्थितियों में पाउडर मददगार हो सकता है:
  2. यदि बच्चा पर्याप्त भोजन नहीं खा रहा है।
  3. यदि बच्चे या वयस्क में विटामिन या मिनरल की कमी है।
  4. यदि डॉक्टर द्वारा विशेष परिस्थितियों में इसकी सलाह दी गई हो।

अन्यथा, पाउडर का नियमित उपयोग सिर्फ स्वाद और मार्केटिंग का हिस्सा है।

पाउडर बनाम घर का भोजन

घर का संतुलित भोजन हमेशा बेहतर विकल्प है। दूध, दाल, सब्ज़ियाँ, फल और अनाज सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। पाउडर का उपयोग केवल जायका बदलने के लिए ही किया जा सकता है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों को चीनी युक्त पाउडर देना उनके स्वाद-संवेदनशीलता को बढ़ाता है, लेकिन पोषण की वास्तविकता पर इसका कोई विशेष लाभ नहीं।

प्रमुख पाउडर उत्पादों की तुलना

  1. कंप्लान / बूस्ट: प्रोटीन और मिनरल्स के नाम पर मार्केटिंग। चीनी का प्रतिशत अधिक।
  1. हॉर्लिक्स / ओरोस: ऊर्जा बढ़ाने का दावा। लेकिन वास्तविक कैलोरी का स्रोत मुख्यतः चीनी।
  1. चॉकलेट फ्लेवर पाउडर: स्वाद के लिए बनाया गया, पोषण में औसत।
  1. पोषण की तुलना हमेशा घर के भोजन और दूध से करें, पाउडर के प्रचार से नहीं।

विशेषज्ञों की सलाह

  1. बच्चों को संतुलित आहार और दूध दें।
  1. फ्लेवर या मार्केटिंग की वजह से बच्चों को पाउडर पीने के लिए मजबूर न करें।
  1. घर का बना पोषक मिश्रण (जैसे सूखे मेवे, दूध और हल्का चॉकलेट पाउडर) सुरक्षित और नियंत्रित विकल्प हो सकता है।

दूध में पाउडर मिलाना स्वाद बढ़ाने का तरीका है, शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने का नहीं। असली पोषण संतुलित आहार और दूध से आता है। मार्केटिंग और फ्लेवर केवल बच्चों को आकर्षित करते हैं। माता-पिता को यह समझना जरूरी है कि स्वाद और पोषण अलग चीजें हैं। पाउडर का उपयोग केवल आवश्यकता और डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।

 

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