घिरते ही रोना शुरू
नरेंद्र मोदी की राजनीति का सबसे बड़ा हथियार झूठ और भावनाओं से खेलना है। जैसे ही उन पर वोट चोरी, चुनावी गड़बड़ी या जनादेश लूटने के आरोप लगते हैं, मोदी जनता के असली सवालों से बचने के लिए आंसू बहाने का नाटक शुरू कर देते हैं। वोट चोरी की बहस से भागते हुए अब उन्होंने एक बार फिर अपनी मां को ढाल बना लिया। दरअसल, जब सरकार और चुनाव आयोग से कोई जवाब नहीं सूझता, तब मोदी अपनी पुरानी आदत के मुताबिक मां और गरीबी का कार्ड खेलते हैं। लेकिन इस बार देश की जनता पूरी तरह समझ चुकी है कि यह सिर्फ सहानुभूति का झूठा नाटक है।
दरभंगा की सच्चाई
बिहार के दरभंगा में वोट अधिकार यात्रा के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ। वहां जब कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था, तभी बीजेपी के ही एक कार्यकर्ता रियाज ने मोदी की मां को कथित तौर पर गाली दी। यानी गाली देने वाला कोई विपक्षी या नामदार नहीं, बल्कि मोदी का अपना ही कार्यकर्ता था। लेकिन मोदी ने इस घटना को तोड़-मरोड़ कर जनता के सामने इस तरह पेश किया, मानो विपक्ष ने उनकी मां का अपमान कर दिया हो। असलियत में यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि मोदी अब अपने ही घर के भीतर से उठती आवाजों को भी राजनीतिक हथकंडा बनाने से पीछे नहीं हटते।
मां की आड़ में नया नाटक
नरेंद्र मोदी ने बयान देते हुए कहा कि “एक गरीब मां की तपस्या, उसके बेटे की पीड़ा, ये शाही खानदानों में पैदा हुए युवराज नहीं समझ सकते।” मोदी का यह बयान सुनकर सवाल उठता है कि जब गाली किसी बीजेपी कार्यकर्ता ने दी, तब इस ड्रामे का दोष विपक्ष पर क्यों डाला जा रहा है? असल में मोदी हर मौके पर अपनी मां और गरीबी का इस्तेमाल राजनीतिक ढाल के रूप में करते हैं। जब असली सवाल पूछा जाता है, तो वह सहानुभूति के समंदर में तैरने लगते हैं। उससे भी बड़ी बात ये है कि स्वयं नरेंद्र मोदी और बीजेपी अनेकों मौकों पर गांधी परिवार और दूसरे नेताओं का अपमान करते रहे हैं।
दोहरा चेहरा
मोदी आज भले ही अपनी मां के नाम पर सहानुभूति मांग रहे हों, लेकिन देश भूल नहीं सकता कि वही मोदी हैं जिन्होंने दशकों से महिलाओं पर घटिया टिप्पणियां की हैं।
- सोनिया गांधी को कहा – कांग्रेस की विधवा और जर्सी गाय।
- राहुल गांधी को कहा – हाइब्रिड बछड़ा।
- शशि थरूर की पत्नी को कहा – 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड।
- कांग्रेस नेता रेणुका को कहा – शूर्पणखा।
- क्या यह वही मोदी नहीं हैं जिनकी पार्टी के नेता खुलेआम कहते हैं कि राहुल गांधी का पिता कौन है, कोई नहीं जानता?
ऐसा व्यक्ति दूसरों की माताओं और पत्नियों का अपमान करके राजनीति चमकाता रहा है, और आज खुद अपनी मां के नाम पर रोकर सहानुभूति मांग रहा है। इसे कहते हैं – ढोंग की पराकाष्ठा।
असली मुद्दा: वोट चोरी से बचने की चाल
देश की जनता पूछ रही है कि आखिर वोट चोरी के गंभीर सवालों पर मोदी और उनकी सरकार जवाब क्यों नहीं दे रहे? क्यों हर बार मां, गरीबी और पिछड़ेपन का कार्ड खेलकर असली बहस से ध्यान भटकाया जाता है? असलियत यह है कि मोदी और बीजेपी इस बार भी जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं। मगर अब समय बदल चुका है। जनता सब जान रही है कि यह सिर्फ वोट चोरी से बचने की चाल है, और इस बार लोग इस भावुक नाटक में फंसने वाले नहीं।