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जम्मू-कश्मीर में तबाही, बाढ़ और भूस्खलन से जूझती घाटी – अमित शाह का अहम दौरा

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श्रीनगर/जम्मू, 31 अगस्त 2025

जम्मू-कश्मीर घाटी इन दिनों प्राकृतिक आपदा की विकराल मार झेल रही है। बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलनों ने हालात को बेहद गंभीर बना दिया है। गांवों के गांव डूब गए, सैकड़ों घर तबाह हो गए और सड़क मार्ग से लेकर संचार व्यवस्था तक सब कुछ चरमरा गया है। इस तबाही ने न सिर्फ जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि राहत और बचाव कार्यों के सामने भी भारी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह घाटी के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं। उनका यह दौरा आपदा प्रबंधन और केंद्र-प्रदेश के बीच तालमेल की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।

बाढ़ और भूस्खलन – हर तरफ तबाही का मंजर

कश्मीर घाटी में बाढ़ और भूस्खलन से हालात बेहद खराब हो गए हैं। पुल बह गए, कई सड़कों पर गाड़ियां फंसी पड़ी हैं और दूरदराज़ इलाकों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने भूस्खलन की घटनाओं को और बढ़ा दिया है। परिणामस्वरूप, राहत सामग्री पहुंचाने और घायलों को निकालने का काम बेहद कठिन हो गया है। आम लोग अब भी सुरक्षित ठिकानों की तलाश में हैं, वहीं बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

आवाजाही और संचार पर असर

घाटी की सबसे बड़ी समस्या इस वक्त आवाजाही और संचार व्यवस्था का ध्वस्त होना है। कई इलाकों में बिजली ठप है, मोबाइल नेटवर्क बुरी तरह प्रभावित है और सड़कें भूस्खलन से बंद हैं। इससे आपात सेवाएं भी फंस गई हैं। राहत सामग्री का ट्रांसपोर्टेशन धीमा हो गया है और दूरदराज़ के गांवों तक हेलीकॉप्टरों के जरिए ही मदद पहुंचाई जा रही है। यह स्थिति साफ करती है कि आपदा प्रबंधन में अभी भी कई खामियां मौजूद हैं और इतनी बड़ी आपदा से निपटने की तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं।

अमित शाह का दौरा – राहत कार्यों की सख्त समीक्षा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 31 अगस्त से 1 सितंबर तक जम्मू में रहेंगे। वे प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से राहत व पुनर्वास कार्यों की समीक्षा करेंगे। शाह ने साफ किया है कि केंद्र सरकार हर हाल में जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ खड़ी है और राहत कार्यों को तेज़ करने के लिए अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य है – प्रभावित परिवारों तक जल्दी से जल्दी सहायता पहुंचाना और भविष्य में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को मजबूत बनाना।

स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक बैठकों का एजेंडा

अमित शाह की यात्रा के दौरान वे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा समेत उच्च स्तरीय अधिकारियों से मिलकर नुकसान का जायजा लेंगे। पुनर्वास योजनाओं, मुआवज़ा वितरण और इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से खड़ा करने पर चर्चा होगी। केंद्र का कहना है कि प्राकृतिक आपदा की इस घड़ी में राजनीति से ऊपर उठकर जम्मू-कश्मीर के लोगों को राहत और सुरक्षा देना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

बिहार चुनावी बहसों पर भी असर

दिलचस्प यह है कि इस गंभीर दौरे के बीच अमित शाह ने बिहार चुनाव पर भी विपक्षी आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने साफ कहा कि कानून व्यवस्था सबके लिए समान है और कोई भी कानून से ऊपर नहीं। यह बयान आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सख्त रणनीति को भी दर्शाता है।

 आपदा प्रबंधन और राजनीतिक चुनौती दोनों

जम्मू-कश्मीर इस वक्त दोहरी चुनौतियों से गुजर रहा है। एक तरफ प्राकृतिक आपदा ने घाटी को बुरी तरह तबाह किया है, दूसरी तरफ केंद्र सरकार पर राहत कार्यों की जिम्मेदारी है। अमित शाह का यह दौरा न सिर्फ आपदा प्रबंधन की मजबूती का इम्तिहान है, बल्कि बीजेपी की छवि के लिए भी अहम है—क्योंकि यह संदेश देना ज़रूरी है कि केंद्र हर संकट में लोगों के साथ खड़ा है। आने वाले हफ्तों में यह साफ होगा कि केंद्र और प्रदेश मिलकर इस त्रासदी से निपट पाते हैं या यह तबाही और गहराई तक असर छोड़ जाएगी।

 

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