नई दिल्ली 27 अगस्य 2025
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 25 और 26 अगस्त 2025 को हुई बैठकों के बाद कुल 14 हाईकोर्ट जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की। कॉलेजियम ने इन जजों के ट्रांसफर और दो के ‘रिपैट्रिएशन’ (मूल कोर्ट में वापसी) के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे हैं, ताकि आखिरी नोटिफिकेशन जारी किया जा सके. यह निर्णय देश की न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और सुचारू संचालन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिससे विभिन्न राज्यों के हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य बंटवारा संतुलित रहेगा।
जिन जजों का ट्रांसफर प्रस्तावित हुआ
कॉलेजियम की सिफारिस के अनुसार, जजों के ट्रांसफर इस प्रकार हैं:
जस्टिस अतुल श्रीधरन: मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
जस्टिस संजय अग्रवाल: छत्तीसगढ़ से इलाहाबाद हाईकोर्ट
जस्टिस जे. निशा बानु: मद्रास से केरल हाईकोर्ट
जस्टिस दिनेश मेहता: राजस्थान से दिल्ली हाईकोर्ट
जस्टिस अवनीश झिंगन: राजस्थान से दिल्ली हाईकोर्ट
जस्टिस अरुण मोंगा: दिल्ली से राजस्थान हाईकोर्ट
जस्टिस संजय कुमार सिंह: इलाहाबाद से पटना हाईकोर्ट
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल: इलाहाबाद से कलकत्ता हाईकोर्ट
जस्टिस मानवेंद्रनाथ रॉय: गुजरात से आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट (रिपैट्रिएशन)
जस्टिस डोनाड़ी रमेश: इलाहाबाद से आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट (रिपैट्रिएशन)
जस्टिस संदीप नत्वरलाल भट्ट: गुजरात से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
जस्टिस चंद्रशेखरन सुधा: केरल से दिल्ली हाईकोर्ट
जस्टिस तारा वितस्ता गंजी: दिल्ली से कर्नाटक हाईकोर्ट
जस्टिस सुभेंदु समांता: कलकत्ता से आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट.
ट्रांसफर के पीछे तर्क
कॉलेजियम द्वारा जजों के ट्रांसफर की प्रक्रिया का उद्देश्य न्यायिक कार्यप्रणाली में विविधता और निष्पक्षता बनाए रखना है। इससे जजों को विभिन्न राज्यों और समाजिक-राजनीतिक संदर्भों में कार्य करने का अनुभव मिलता है, जिससे समग्र न्यायिक व्यवस्था और ज्यादा ठोस होती है। कई बार प्रशासनिक कारणों, पारिवारिक जरूरतों या न्यायिक कार्य संतुलन के आधार पर ट्रांसफर किया जाता है.
प्रतिक्रिया और विवाद
गुजरात हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ ने जस्टिस संदीप भट्ट के ट्रांसफर के विरोध में कामकाज बंद करने की घोषणा की है। अधिवक्ताओं का कहना है कि बार के सदस्यों ने सर्वसम्मति से विरोध किया है और कहा है कि यह निर्णय न्यायालय कार्यशैली को प्रभावित कर सकता है. इसी तरह, अन्य राज्यों में भी कुछ अधिवक्ता समूह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।
आगे की प्रक्रिया
कॉलेजियम की सिफारिशें अब केंद्रीय सरकार की मंजूरी के बाद लागू होंगी। सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी होते ही सभी संबंधित जज अपने नए हाईकोर्ट में कार्यभार संभालेंगे। यह बदलाव आने वाले महीनों में देश की न्याय व्यवस्था के संचालन व आधारभूत संरचना को प्रभावित करेगा।
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