बिहार के “भ्रष्ट गरीब इंजीनियर 100 करोड़” और “भ्रष्टतम 500 करोड़” से अधिक की काली कमाई के मालिक
बिहार की राजनीति और प्रशासन पर हमेशा से भ्रष्टाचार का कलंक चिपका रहा है, लेकिन राजधानी पटना में पिछले दिनों जो नज़ारा देखने को मिला, उसने पूरे राज्य को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर सरकार की नाक के नीचे कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है यह भ्रष्टाचार। मामला एक ऐसे शक्तिशाली मंत्री के करीबी इंजीनियर से जुड़ा है, जिसके घर ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) की टीम ने छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार छापेमारी रात 1:30 बजे शुरू होनी थी, लेकिन घर की महिला ने सुबह छह बजे तक दरवाज़े ही नहीं खोले। सवाल यही है कि इन साढ़े चार घंटों में दरवाज़े के पीछे क्या चल रहा था? जवाब साफ है – वहाँ लगभग दस करोड़ रुपये नगदी को जलाकर सबूत मिटाने का प्रयास किया गया।
यह दृश्य इतना भयावह था कि लोग यक़ीन नहीं कर पाए। लाखों नोटों की गड्डियाँ जब जलकर राख हुईं, तो उनका अवशेष टॉयलेट पाइपों और नालियों में ठूंसा गया। नाले इतनी बुरी तरह जाम हुए कि पूरे मोहल्ले में गंदगी फैल गई और अंततः नगर निगम को बुलाकर सफाई करानी पड़ी। सोचिए, यह कैसी विडंबना है कि जिस भ्रष्टाचार ने राज्य की जड़ों को खोखला किया, अब उसकी जली हुई राख पटना के नालों में बहती हुई सबसे बड़ा सबूत बन गई। यह घटना केवल एक घर, एक इंजीनियर, या एक मोहल्ले की नहीं है, बल्कि पूरे बिहार की उस प्रशासनिक और राजनीतिक संस्कृति का आईना है, जो आज भ्रष्टाचार के गटर में तैर रही है।
इससे पहले भी ईओयू ने राज्य के एक अन्य इंजीनियर के घर से 11 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे। पिछले दो वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें किसी सरकारी इंजीनियर के घर से 500 करोड़, किसी अन्य के पास से 300 करोड़ और किसी तीसरे से 100 करोड़ की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा हुआ। सवाल यह है कि जब विभागीय इंजीनियर अरबों-खरबों के मालिक बन बैठे हैं, तो इस लूट का असली सरोकार कहाँ है? क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत लालच का परिणाम है या इसके पीछे सत्ता का सरंक्षण और राजनीतिक संरक्षण की मोटी परतें भी छिपी हुई हैं? और अगर प्रशासन और सरकार सब देखकर भी खामोश बैठी है, तो यह खामोशी ही सबसे बड़ा सबूत है कि भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक बहता हुआ एक सिस्टम का हिस्सा बन चुका है।
राजद नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा – “मोदी-नीतीश के भ्रष्टाचार की अजब-गजब कहानी! बिहार में हाल यह है कि अब जले हुए नोटों की राख नालियाँ जाम कर रही है। जिसके लिए बीजेपी और नीतीश कुमार को साधुवाद देना चाहिए कि उनके शासनकाल में इंजीनियर करोड़ों-करोड़ के साम्राज्य खड़े कर चुके हैं।” तेजस्वी ने तंज कसते हुए याद दिलाया कि हाल के वर्षों में बिहार में 500 करोड़, 300 करोड़ और 100 करोड़ की अवैध संपत्ति वाले इंजीनियर पकड़े गए। उनका आरोप है कि यह सब तथाकथित “गुड गवर्नेंस” और “डबल इंजन सरकार” का ही कमाल है।
तेजस्वी यादव ने आगे यह भी कहा कि “डीके टैक्स योजना” के तहत प्रखंड और थाना स्तर तक भ्रष्टाचार की जड़ें फैली हुई हैं। आम आदमी चाहे चाहकर भी बिना रिश्वत दिए अपना छोटा-मोटा काम नहीं करा सकता। यदि कोई जनता से पूछ ले तो उसे तुरंत पता चलेगा कि जमीनी सच्चाई कितनी भयावह है – जहाँ बिकाऊ व्यवस्था ने ईमानदार लोगों के लिए जीवन को यंत्रणा बना दिया है। सवाल यह है कि जिस बिहार ने कभी जेपी आंदोलन और समाजवाद की लड़ाई को जन्म दिया था, वही बिहार आज भ्रष्टाचार की राख में क्यों डूबा हुआ है?
आज की सबसे बड़ी चिंता यही है कि बिहार में भ्रष्टाचार अब सिर्फ आंकड़ों, रिपोर्टों या विपक्ष के आरोपों का मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि यह जनता की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। नालियाँ सड़कों तक जाम हो जाएँ, जनता सरकारी दफ्तरों में ठोकरें खाती रहे, अस्पतालों में मरीज इलाज के बजाय बेसहारा तड़पते रहें – ये सब अब आम दृश्य हो गए हैं। जब एक साधारण इंजीनियर अरबपति निकलता है और उसके घर से मिले लाखों नोट नालियों के रास्ते बहा दिए जाते हैं, तो यह केवल बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्ट तंत्र का नमूना है। असली तस्वीर इससे कहीं ज्यादा गहरी और अंधेरी है।
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