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म्यांमार के रखाइन प्रांत में अराकान आर्मी की बढ़त: भारत और चीन के लिए क्यों है चिंता का विषय?

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म्यांमार के पश्चिमी रखाइन प्रांत में अराकान आर्मी (AA) की बढ़ती ताकत ने क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। AA ने अब तक रखाइन के 17 में से 14 टाउनशिप पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है, जिससे म्यांमार की सैन्य सरकार की पकड़ कमजोर पड़ गई है। यह प्रांत बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है, जिससे इसकी सामरिक और आर्थिक महत्वता बढ़ जाती है।  

 

भारत और चीन की चिंताएँ:

भारत: भारत ने रखाइन प्रांत में अपनी महत्वपूर्ण परियोजना, कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, को लेकर AA से सुरक्षा की गारंटी प्राप्त की है। हालांकि, AA ने इस परियोजना में हस्तक्षेप नहीं करने का वादा किया है, फिर भी भारत सतर्क है क्योंकि AA के बढ़ते प्रभाव से क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है।  

चीन: चीन ने रखाइन में कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जैसे कि क्यौकफ्यू गहरे समुद्र का बंदरगाह। AA ने चीन के निवेशों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है, जिससे चीन की चिंता कुछ हद तक कम हुई है। फिर भी, AA की बढ़ती ताकत और म्यांमार की सैन्य सरकार की कमजोर होती स्थिति चीन के लिए रणनीतिक चुनौती प्रस्तुत करती है।  

 

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव:

रखाइन प्रांत में AA की बढ़त से बांग्लादेश की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों की बड़ी संख्या है। AA और अन्य विद्रोही समूहों के बीच संघर्ष से मानवीय संकट बढ़ सकता है, जिससे शरणार्थियों की संख्या में इजाफा हो सकता है। इससे भारत और बांग्लादेश दोनों देशों को सीमा सुरक्षा और शरणार्थी प्रबंधन में चुनौतियाँ आ सकती हैं।  

म्यांमार के रखाइन प्रांत में अराकान आर्मी की बढ़ती ताकत ने क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत और चीन दोनों देशों के लिए यह स्थिति रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, और उन्हें इस क्षेत्र में अपनी नीतियों और रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। 

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