मुंबई 16 अगस्त 2025
कोहली का संन्यास और विवाद की पृष्ठभूमि
भारतीय क्रिकेट के सबसे चर्चित खिलाड़ियों में शुमार विराट कोहली भले ही आज दुनिया भर में अपनी फिटनेस, जुझारूपन और रिकॉर्ड्स के लिए पहचाने जाते हैं, लेकिन उनके करियर के कुछ चरण ऐसे भी रहे हैं, जहां उनकी लगातार गिरती फॉर्म ने क्रिकेट विशेषज्ञों और प्रशंसकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। हाल ही में जब कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, तब यह फैसला उनके करियर के कठिन दौर के बाद आया। इस बीच उनके पूर्व साथी खिलाड़ी इरफान पठान ने कोहली के खेल और उनकी कमजोरियों पर बेबाक टिप्पणी की। उन्होंने न केवल अपनी आलोचना को दोहराया बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियाँ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि टीम के व्यापक हित और खेल की वास्तविकता पर आधारित थीं।
टीम हित बनाम खिलाड़ी का समर्थन
इरफान पठान ने साफ कहा कि किसी भी खिलाड़ी का पहला स्लम्प या खराब दौर हमेशा सहानुभूति और समर्थन का हकदार होता है। उन्होंने स्वीकार किया कि शुरुआती मुश्किल समय में कोहली के साथ खड़े रहना टीम का दायित्व था। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब यही स्लम्प पाँच वर्षों तक खिंच जाए, तो चीजों को नजरअंदाज करना संभव नहीं रह जाता। उनका कहना था कि खेल अंततः टीम के प्रदर्शन और परिणामों पर निर्भर करता है, न कि केवल व्यक्तिगत महानता पर। इस दृष्टिकोण से उन्होंने यह तर्क दिया कि अगर कोई खिलाड़ी लगातार टीम के लिए बोझ बनता जाए, तो उसे पहचानना और बदलाव की दिशा में कदम उठाना ज़रूरी हो जाता है।
तकनीकी खामियों पर तीखा विश्लेषण
पठान ने तकनीकी दृष्टिकोण से भी कोहली की कमजोरियों को विस्तार से समझाया। उनके मुताबिक, कोहली टेस्ट क्रिकेट में लगातार एक ही तरह से आउट होते रहे और विपक्षी गेंदबाज़ों के लिए उनकी कमजोरियों को भुनाना आसान हो गया। उन्होंने कहा कि एक महान बल्लेबाज़ का काम होता है कि वह विपक्ष को सिर्फ एक ही रणनीति पर निर्भर न रहने दे, बल्कि उन्हें मजबूर करे कि वे अपनी योजनाएँ बदलें और नए तरीके ढूंढें। लेकिन कोहली के साथ ऐसा नहीं हो रहा था — वे बार-बार एक ही तरह की गलतियों का शिकार हो रहे थे और विपक्षी टीमें केवल अपने प्लान-A के दम पर उन्हें आउट करने में सफल हो जाती थीं। इस तरह की स्थिरता और जड़ता किसी भी चैंपियन खिलाड़ी के करियर के लिए घातक होती है।
आलोचना नहीं, वास्तविकता की स्वीकृति
इरफान ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी आलोचना किसी व्यक्तिगत मतभेद का परिणाम नहीं थी। उन्होंने कोहली की उपलब्धियों और योगदान का सम्मान करते हुए यह स्वीकार किया कि कोहली भारतीय क्रिकेट के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहे हैं। लेकिन एक समय आता है जब तकनीकी सुधार या मानसिक बदलाव जरूरी हो जाता है। अगर खिलाड़ी उस बदलाव को अपनाने में पीछे रह जाए, तो टीम के हित में कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। यही कारण है कि इरफान ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि खेल में “टीम” हमेशा “व्यक्ति” से बड़ा होता है।
विराट कोहली और महान खिलाड़ियों के लिए सीख
विराट कोहली के पक्ष में यह कहना गलत नहीं होगा कि वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे सफल और भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक हैं। 2011 वर्ल्ड कप से लेकर 2023 वर्ल्ड कप तक उनकी निरंतरता और जुझारूपन उन्हें एक अलग ही दर्जा देता है। कोहली ने अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 25,000 से अधिक रन बनाए हैं, जिसमें 80 से ज्यादा शतक शामिल हैं—यह उपलब्धि उन्हें सचिन तेंदुलकर और रिकी पोंटिंग जैसे दिग्गजों की श्रेणी में खड़ा करती है। टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 49 से ऊपर और वनडे में लगभग 58 के आसपास है, जो उनकी स्थिरता और क्लास को दर्शाता है। आईपीएल में भी वे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं और आरसीबी की रीढ़ रहे हैं। कोहली की फिटनेस संस्कृति ने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी है, जिसके चलते पूरी टीम का स्तर ऊंचा हुआ। आलोचनाओं और खराब फॉर्म के दौर से गुजरना हर महान खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है, लेकिन कोहली का करियर यह साबित करता है कि गिरावट अस्थायी होती है और महानता स्थायी। उनके रिकॉर्ड, उनकी मानसिक दृढ़ता और खेल के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए यह सीख छोड़ते हैं कि महान खिलाड़ी वही होता है जो परिस्थितियों से ऊपर उठकर बार-बार अपनी उपयोगिता साबित कर सके।
महान खिलाड़ियों के लिए सीख यह है कि खेल केवल आँकड़ों का नहीं, बल्कि निरंतरता और मानसिक मजबूती का भी नाम है। इस बहस का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह केवल विराट कोहली की कहानी नहीं है, बल्कि हर उस बड़े खिलाड़ी का सच है जिसने लंबे करियर में कभी न कभी खराब दौर का सामना किया है।